पॆड और पौधो कॆ विष का उपयोग
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कुदरत से हर जीव को कई चीजे मिलती है जो उऩके पोषण तथा बचाव के लिेये जरुरी है। उनमे से एक विष भी है और पेड इनका उपयोग दूसरे जानवरो से खाए जाने से बचने के लिये करते है। विष जब शरीर मे बहुत होता तभी वह हानिकारक होता है लेकिन जब वह सही तरह से दसरे चीजो के साथ लिया जाए तो उसे दवा के रूप मे भी उपयोग किया जा सकता है। विष भी कई तरह के पोषटिक चीजो जैसे प्रोटीन से बनता है जैसे फीऩोलिक्स और आल्कोलौइ्डस् आदि।
पौधो के विष का उपयोग आजकल के कई आधुनिक दवाइयो मे विष प्रतिरोधक के रूप मे किया जाता है साथ ही कई प्रकार के रोगो के इलाज के लिए भी किया जाता है। उदाहरण के लियेख
ट्रोपेन नामक विष का उपयोग आँखो के लेन्स के बङे व छोटे करने के लिये, बुखार एव॑ ठ॑डी को ठीक करने के लिये, हॄदय गति को कम करने के लिये किया जाता है।
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भिक नामक विष का उपयोग साँस और हॄदय से संबंधित रोग, बुखार, निमोनिया, उत्सुक्ता को कम करने के लिए किया जाता है।
ग्लाईकोसाईड विष का उपयोग हॄदय गति को सामान्य बनाए रखने और उसे तेज करने के लिये किया जाता है।
कोनिन विष का उपयोग माँस पेशियो, जोडो के दर्द को ठीक करने और साथ ही उत्सुक्ता कम करने के लिए किया जाता है।
![](https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/4/41/Floral_starburst_of_Fool%27s_parsley_-_geograph.org.uk_-_843734.jpg/220px-Floral_starburst_of_Fool%27s_parsley_-_geograph.org.uk_-_843734.jpg)
सेनेसियोसीन नामक विष का उपयोग मूँह और पेट के छालों को ठीक करने के लिये और, जोडो के दर्द को ठीक करने के लिए किया जाता है।
हिस्टामीण नामक विष विटामिण का अच्छा स्रोत है जो खूऩ, गुर्दे और पेट को साफ रखने मे मदद करता है।
पेड और पौधौ के विष का उपयोग पुराने ज़माने से दुनिया के सभी कबीलों मे किया जाता रहा है। वे विष का उपयोग शिकार और मछलियाँ पकडने के लिये करते है और इनके सबूत आज भी हमे उनकी जीवन शैली मे मिलते है जो आफ्रिका, भारत, आस्ट्रेलिया आदी मे पाए जाते है।
कबीलेवाले विष का उपयोग दवाइयो के रूप मे भी करते है साथ ही कई प्रकार के रोगो के इलाज के लिए भी किया जाता है जैसे खूऩ, गुर्दे और पेट को साफ रखने मे मदद, मूँह और पेट के छालों को ठीक करने के लिये, बुखार एव॑ ठ॑डी को ठीक करने के लिये, घावों को भरने के लिये, मधूमेय और टीबी के लिये, विष प्रतिरोधक के रूप मे किया जाता है जिससे साँप, बिच्छू और मधूमक्खी के डंकों का इलाज किया जाता है। सूखे और अकाल के समय इन विषैले पौधों को खाकर जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन और विटामिन प्राप्त कर लेते है उदाहरण दतूरा, कोनियम, अकोकान्थेरा आदी।
इन कुदरती चीजों उपय़ोग न ही सिर्फ इंसान साथ ही अन्य जानवर भी करते है जैसे अंडे से निकले तितली के बच्चे मे कतैयौं उसे काटकर उनके अंदर अपने अंडॆ देते है जो उसे अंदर से ही खाना शुरू कर देते है तब तितली के बच्चे उन कतैयों के बच्चो को मारने के लिए थोडा सा विष खाना शुरू कर देती है जिससे वे बचे रहते है, शाकाहारी जीव विषैले पौधों को खाकर जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन और विटामिन प्राप्त कर लेते है और साथ ही अपने पेट के अंदर के किटानू और कीडों का भी नाश कर देते है उदाहरण के लिये गाय, हिरण, बंदर आदी कुछ वन्य जीव तो इस प्राकॄतिक रूप से प्राप्त विष को चबाकर अपने शरीर पर मल लेते है जिससे वे दूसरे जीवों के हमले से अपने आप को बचाते है उदाहरण के लिये आफ्रिका के काँटेवाले चूहे जो पेड और पौधौ से प्राप्त विष को चबाकर अपने काँटों पर मल लेतॆ है जिससे कुत्तॆ और तेंदुए उन पर हमला नहीं करते
![](https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/6/64/Tyria_jacobaeae_on_ragwort.jpg/220px-Tyria_jacobaeae_on_ragwort.jpg)
प्रकृति से प्राप्त हर चीज़ हर जीव के लिए ज़रूरी है चाहे वह विष ही क्यो न हो