पूड़ी
पूरी | |
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पूरी | |
उद्भव | |
वैकल्पिक नाम | पूड़ी |
संबंधित देश | भारत |
देश का क्षेत्र | भारतीय उपमहाद्वीप |
व्यंजन का ब्यौरा | |
मुख्य सामग्री | आटा, पानी |
अन्य प्रकार | भटूरा, लूची, सुहारी |
अन्य जानकारी | भारतीय पकवान |
पूड़ी व वास्तविक नाम पूरी (बहुवचन: पूड़ियाँ व पूरियाँ) एक भारतीय अकिण्वित रोटी है जिसे भारतीय-उपमहाद्वीप के कई देशों में भोजन के रूप में खाया जाता है। पूरी को सबसे अधिक कलेवे (सवेर के खाने) में परोसा जाता है, इसके अतिरिक्त यह विशेष व औपचारिक समारोहों में परोसी जाती है। प्रसाद के रूप में भी पूरियाँ बाँटी जाती हैं।
व्युत्पत्ति
पूरी शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के पूरिका शब्द से हुई है। पूरिका का उल्लेख प्राचीन हिन्दू संस्कृत ग्रंथों में किया गया है।[1]
अन्य भाषायों में नाम
- संस्कृत: पूरिका
- उर्दु: بوری, (पूरी)
- तमिल: பூரி (पूरी)
- उड़िया: ପୁରି (पोरी)
- कन्नड़: ಪೂರಿ (पूरी)
- तेलुगु: పూరి (पूरी)
सामग्री और बनाने की विधि
पूरी आटे से बनाई जाती है। इसके लिए कड़ा आटा गूंथा जाता है और कई बार इसमें थोड़ा सा लवण भी डाला जाता है। फिर इसे हल्का सा घी व तेल लगाकर बेल कर घी/तेल में तल लेते हैं। तलने से जब पूरियाँ फूल जाती हैं और इनका रंग सुनहरा हो जाता है तब इन्हें तेल से निकाल लिया जाता है। इन्हें प्रायः लप्सी, आलू की भाजी, छोले आदि के साथ परोसा जाता है।
चित्र दीर्घा
- वाराणसी की एक हट्टी में पूरियां तली जा रही हैं।
- वाराणसी का विशेष कलेेेवा (सवेर का खाना) आलू-पूरी।
- गर्मा-गर्म तली गयी पूरियां
- पूरी भाजी की थाली
- पतली रोटी को तेल में तला जाता है और चने आलू और लप्सी के साथ खाया जाता है।
सन्दर्भ
- ↑ Bahri, Hardev (1965). Hindī: udbhava, vikāsa aura rūpa. Kitāba Mahala.