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पितृवंश समूह टी

दुनिया में पितृवंश समूह टी का फैलाव - आंकड़े बता रहे हैं के किस इलाक़े के कितने प्रतिशत पुरुष इसके वंशज हैं

मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह टी या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप T एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह के से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश के पुरुष भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ समुदायों में मिलते हैं। दक्षिण भारत के येरुकाला आदिवासी, पश्चिम बंगाल के बाओड़ी जनजाति और राजस्थान के लोधा समुदाय के अधिकांश पुरुष इसके वंशज हैं। अफ़्रीका में सोमालिया और दक्षिणी मिस्र के पुरुषों में इसके वंशज भारी मात्रा में पाए जाते हैं। ईरान में केरमान शहर के पारसी समुदाय और दक्षिण-पश्चिमी ईरान के बख्तिआरी बंजारा समुदाय में भी इसके काफ़ी वंशज मिलते हैं। यूरोप में जर्मनी, इटली के सार्दिनिया द्वीप, स्पेन और पुर्तगाल में इसके सदस्य मिलते हैं। उत्तर-पूर्वी पुर्तगाल के यहूदी समुदाय में इसके वंशज भारी मात्रा में मौजूद हैं। माना जाता है के मूल पितृवंश समूह टी जिस पुरुष के साथ आरम्भ हुआ वह आज से २५,०००-३०,००० साल पहले मध्य पूर्व का रहने वाला था।[1]

अन्य भाषाओँ में

अंग्रेज़ी में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ