पारसनाथ
पारसनाथ झारखंड के पारसनाथ पहाड़ी श्रृंखला में एक पर्वत शिखर है। यह भारतीय राज्य झारखंड के गिरिडीह जिले (ब्रिटिश भारत में हजारीबाग जिला) में छोटानागपुर पठार के पूर्वी छोर की ओर स्थित है।[1] पहाड़ी का नाम 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ के नाम पर रखा गया है। इसी सिलसिले में पहाड़ी की चोटी पर जैन तीर्थ शिखरजी हैं। धार्मिक संदर्भ में संथाल और अन्य आदिवासी लोगों द्वारा पहाड़ी को मारांग बुरु (अर्थ: 'महान पर्वत', सर्वोच्च देवता) के रूप में भी जाना जाता है।[2][3]
झारखंड का सबसे ऊँचा पर्वत और आकर्षित स्थल पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित हैं। माना जाता हैं कि झारखंड के इस पर्वत पर 24 जैन तीर्थकरो को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. शिखरजी समुद्र तल से लगभग 1365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। शिखरजी वंदना के लिए तीर्थ यात्री बहुत अधिक संख्या में आते हैं।[4]
पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलम्बियों के लिए विश्व में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों के मंदिर अवस्थित है। यहां हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से सैलानी आते है। तलैटी से शिखर तक तकरीबन 10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
झारखंड की सबसे ऊंची चोटी
पारसनाथ झारखंड राज्य की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है जिसकी ऊंचाई 1365 मीटर है। यह माउंट एवरेस्ट के साथ 450 किमी से अधिक की दूरी पर सैद्धांतिक रूप से (पूरी तरह से साफ दिन पर दृष्टि की सख्त रेखा से) दिखाई देता है।[5] यहां पारसनाथ रेलवे स्टेशन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
मारांग बुरु
पारसनाथ पर्वतीय क्षेत्रों में सदियों से संथाल और अन्य आदिवासी रहते हैं। यह पहाड़ संथाल आदिवासियों की आस्था से जुड़ा है जिसे वे सदियों से मारांग बुरु के नाम से पूजा करते हैं।[6]
मारांग बुरु का शाब्दिक अर्थ "महान पहाड़" या "बड़ा पहाड़" होता है। मारांग बुरु को आदिवासी सर्वोच्च देवता के रूप में मानते हैं। यहां संथाल आदिवासी धार्मिक स्थल धरम गढ़ भी है।[7] झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम और मध्यप्रदेश के मुंडा, संथाल, भूमिज, हो और अन्य आदिवासी समुदायों मारांग बुरु को सर्वोच्च देवता मानते हैं।[8][9][10]
सम्मेत शिखरजी
यह जैन समुदाय के लिए सबसे पवित्र और पूजनीय स्थलों में से एक है। वे इसे सम्मेत शिखर जी या सम्मेद शिखर कहते हैं। जैनियों के 24 तीर्थंकरों में से 20 को पारसनाथ पहाड़ियों पर निर्वाण मिला। पारसनाथ पहाड़ पर, शिखरजी जैन मंदिर हैं, जो एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है। प्रत्येक तीर्थंकर के लिए पहाड़ी पर एक मंदिर (गुमटी या टोंक) है।[11][12]
माना जाता है कि जैन मंदिर का निर्माण मगध राजा बिम्बिसार ने करवाया था। कनिंघम ने गांव में पत्थर की संरचनाओं का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के एक बौद्ध स्तूप के अवशेष के रूप में वर्णित किया। हालांकि साईट कनिंघम द्वारा चिन्हित किया गया था, आज तक वहां कोई उत्खनन नहीं हुआ है।
सन्दर्भ
- ↑ "DISTRICT GIRIDIH, GOVERNMENT OF JHARKHAND | CITY OF HILLS | India" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-16.
- ↑ "Parasnath | DISTRICT GIRIDIH, GOVERNMENT OF JHARKHAND | India" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-16.
- ↑ Indian Antiquary (अंग्रेज़ी में). Popular Prakashan. 1893.
- ↑ "झारखंड का मशहूर दर्शनीय स्थल है पारसनाथ पहाड़ी". प्रभात खबर. 1 अगस्त 2023.
- ↑ Live, A. B. P. (2022-01-30). "झारखंड की गिरिडीह पहाड़ियां अपने साथ छिपाए हुई हैं कई रहस्य, इस खूबसूरत जगह की ये है खासियत". www.abplive.com. अभिगमन तिथि 2023-02-16.
- ↑ Indian Antiquary (अंग्रेज़ी में). Popular Prakashan. 1893.
- ↑ Choudhury, Pranab Chandra Roy (1975). Bihar (अंग्रेज़ी में). Publications Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India.
- ↑ Jha, Makhan (1998). India and Nepal: Sacred Centres and Anthropological Researches (अंग्रेज़ी में). M.D. Publications Pvt. Ltd. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7533-081-8.
- ↑ Fuchs, Stephen (1963). The Origin of Man and His Culture (अंग्रेज़ी में). Asia Publishing House.
- ↑ India), Asiatic Society (Calcutta (1867). Journal of the Asiatic Society of Bengal (अंग्रेज़ी में).
- ↑ "Jharkhand ►Shikharji ►Jain Temples @ HereNow4U". HereNow4U: Portal on Jainism and next level consciousness (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-16.
- ↑ "Parasnath | DISTRICT GIRIDIH, GOVERNMENT OF JHARKHAND | India" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-16.