सामग्री पर जाएँ

पानीपत जिला

पानीपत

भारत - हरियाणा - पानीपत
मुख्यालय लघु सचिवालय, पानीपत
प्रदेश हरियाणा
जनसंख्या 16,05,765
क्षेत्रफल 1268 वर्ग कि.मी. वर्ग किलोमीटर
मुख्य भाषा(एँ) हरियाणवी, हिन्दी



पानीपत ज़िला भारत के हरियाणा राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय पानीपत है।[1][2][3] जब सन 1803 में मराठों और ईस्ट इंडिया कंपनी में संधि हुई तो पानीपत कम्पनी के अधिकार में आ गया और अंग्रेजो ने इसे जिला मुख्यालय बना दिया। पानीपत जिला मुख्यालय को राजस्व और भूमि बंदोबस्त के लिए निम्न भागों में बाटा गया 1.पानीपत बांगर, 2.पानीपत खादर, 3.करनाल बांगर, 4.करनाल खादर, 5.सोनीपत बांगर और 6.सोनीपत खादर।[4] 1857 तक जिला मुख्यालय पानीपत तक रहा बाद में जिला मुख्यालय करनाल बना दिया गया।


पानीपत के शैक्षणिक संस्थान

सामान्य महाविद्यालय

अभियांत्रिकी संस्थान

स्कूल

  • एमएएसडी पब्लिक स्कूल
  • बाल विकास विद्यालय, माडल टाऊन
  • केन्द्रीय विद्यालय, एनएफ़एल
  • डाक्टर एम के के आर्ये माडल स्कूल
  • एस डी विद्या मंदिर, हूड्डा
  • डी ए वी स्कूल, थर्मल
  • सेंट मेरी स्कूल
  • एस डी सीनीयर सेकेंडरी स्कूल
  • आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल
  • आर्य बाल भारती पब्लिक स्कूल
  • एस डी माडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल
  • एस डी बालिका विद्यालय

होटल

  • होटल गोल्ड
  • होटल माय इंडिया
  • होटल निरुला ***
  • होटल महाराजा
  • होटल रीजेंसी
  • होटल मिडटाऊन
  • होटल स्क्यालार्क (हरियाणा पर्यटन विकास निगम)

शापिंग माल्स

  • गोकुल मेगा मार्ट
  • मित्तल मेगा माल
  • सर्राफ़ माल
  • ऐंजल प्राईम माल और कइ माल बन रहे हैं जेसे *अन्सल प्लज़ा

उद्योग

सार्वजनिक इकाईयाँ

  • नेशनल फर्टिलाइज़र्स लिमेटड, रिफायनरी, थर्मल पावर

निजी इकाईयाँ

  • शिना एक्सपोर्ट, पलिवाल एक्स्पोर्ट, पान ओवरसिज आदि।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "General Knowledge Haryana: Geography, History, Culture, Polity and Economy of Haryana," Team ARSu, 2018
  2. "Haryana: Past and Present Archived 2017-09-29 at the वेबैक मशीन," Suresh K Sharma, Mittal Publications, 2006, ISBN 9788183240468
  3. "Haryana (India, the land and the people), Suchbir Singh and D.C. Verma, National Book Trust, 2001, ISBN 9788123734859
  4. Selections from the Records of Government खंड 1. Secundra Orphan Press. 1855. पृ॰ 111.