पांच बावरी
पांच बावरी पांच भाई है जिन्हें पांच पीर नाम से भी जाना जाता है। यह सनातन धर्म में लोक देवता हैं । दिल्ली , हरियाणा, यूपी, राजस्थान एवं पंजाब के कई हिस्सों में इन्हें पूजा जाता है । लोक कथाओं एवं लोक गीतों की मानें तो इनका इतिहास ८०० से भी अधिक वर्ष पूराना हैं। यह राजस्थान के राजपूताना बावरी समाज से संबंध रखते थे। यह पांच भाई हैं जिनमें सबसे बड़े भाई हरि सिंह बावरी , सबल सिंह बावरी,केसरमल बावरी,जीतमल बावरी और नथमल बावरी हैं। इनके अलावा इनकी एक बहन शेढो हैं और नथिया व श्याम कौर इनकी धर्म बहन हैं। इसके अलावा माना जाता है पांच बावरी के अतिरिक्त और भी बावरीयों को पूजा जाता है जैसे इन्हीं के भाई जाफरमल और टोडरमल हैं। एवं सिंह राज बावरी, राज सिंह बावरी, गंगा राम बावरी भी हैं जिनकी आज भारत में आस्था है। पांच बावरी गोगाजी जाहरपीर के जोड़े में चलते हैं ।
पांच बावरी | |
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अन्य नाम | पांच बावरी, पांच पीर |
निवासस्थान | मूरथल हरियाणा, सफिदो जिंद हरियाणा, नीली छतरी चांदनी चौक दिल्ली |
माता-पिता | कपूरी, हेमराज बावरी |
भाई-बहन | श्याम कौर, शेढो, नथिया |
इतिहास
पांच बावरी का जन्म राजस्थान के राजपूत बावरी समाज के राजा हेमराज के घर हुआ था। इनका जन्म खरखडी गांव में योगी इस्माइल के वरदान से हुआ था। माना जाता है कि हेमराज बावरी और कपूरी के कोई संतान ना होने के कारण उन्होंने इस्माइल जोगी की सेवा कर उनसे दो पूत्रों का वरदान प्राप्त किया किन्तु इस्माइल जोगी की यह शर्त थी कि दोनों में से एक बड़ बेटे को उन्हें उनके धूणे में सौंपना होगा। कुछ समय बाद उन्हें जब पुत्र हुए जिनमें बड़े का नाम हरिसिंह बावरी और छोटे का नाम शेर सिंह बावरी रखा गया परंतु विवशता कारण उन्होंने बड़े भाई के अतिरिक्त छोटे बेटे को धूणे में चढ़ा दिया। किंतु कपूरी का विलाप देख कर इस्माइल जोगी ने शेर सिंह को धूणे में से बाहर निकाला और कहा कि धूणे में जाने के कारण इसका रंग काला हो गया है परंतु इसके पास धूणे की ्् अपार शक्ति आ गई है। और उसका नाम सबल सिंह बावरी पड़ा । इस्माइल जोगी ने कपूरी को तीन पूत्र और एक पूत्री का वरदान और दिया जिससे केसरमल बावरी जीतमल बावरी और नथमल बावरी के साथ बहन शेढो का जन्म हुआ।