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परशुराम की प्रतीक्षा

परशुराम की प्रतीक्षा  
लेखकरामधारी सिंह 'दिनकर'
मूल शीर्षकपरशुराम की प्रतीक्षा
देशभारत
भाषाहिन्दी
प्रकारसामाजिक
प्रकाशक लोक भारतीय प्रकाशन , प्रयागराज
प्रकाशन तिथि 1993
मीडिया प्रकार सजिल्द
पृष्ठ 80.पृष्ठ
आई॰एस॰बी॰एन॰9788185341132

परशुराम की प्रतीक्षा सामाजिक विषय पर आधारित रामधारी सिंह 'दिनकर' जी द्वारा रचित कविता संग्रह और खण्डकाव्य है। इस कविता संग्रह में लगभग अठारह कविताएँ शामिल हैं।[1][2] इस खण्डकाव्य की रचना उन्होंने 1962-63 (भारत-चीन युद्ध के पश्चात) के आसपास की। कवि का संदेश है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सतत जागरूक रहना चाहिए। युद्धभूमि में शत्रु का विनाश करने के लिए हिंसा अनुचित नहीं है।किरिचों पर कोई नया स्वप्न ढोते हो ?

किस नयी फसल के बीज वीर ! बोते हो ?

दुर्दान्त दस्यु को सेल हूलते हैं हम;

यम की दंष्टा से खेल झूलते हैं हम।

वैसे तो कोई बात नहीं कहने को,

हम टूट रहे केवल स्वतंत्र रहने को।

सामने देश माता का भव्य चरण है,

जिह्वा पर जलता हुआ एक, बस प्रण है,

काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे,

पीछे, परन्तु, सीमा से नहीं हटेंगे।

सन्दर्भ

  1. Ramdhari Singh Dinkar. परशुराम की प्रतीक्षा. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788185341132.
  2. "परशुराम की प्रतीक्षा". Pustak. org. 23 September 2016. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2022.