पण्य
अर्थशास्त्र में पण्य (commodity) ऐसी वस्तु होती है जो पूरी या अधिकांश रूप से प्रतिमोच्य हो, यानि उस वस्तु के बराबार मात्रा के अंशों का मूल्य बाज़ार में बराबर या लगभग बराबर माना जाता है। उदाहरण के लिए सोने के 10 ग्राम के दो टुकड़ों का मूल्य बराबर माना जाता है, चाहे उनका उत्पादन अलग समय में, अलग स्थानों में बिलकुल भिन्न प्रकार से करा गया हो। इसी तरह कपास, गेहूँ, लोहा, किसी एक प्रकार का पेट्रोल, खुली चाय की पत्ती, इत्यादि सभी पण्य हैं। अधिकांश पण्य कच्चे माल के बने होते हैं, यानि प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं। कुछ वृहद उत्पादन द्वारा भारी मात्रा में बनाई जाने वाली वस्तुएँ भी पण्य समझी जा सकती हैं, जैसे कि बहुत से प्रकार के निर्मित रसायन।[1][2]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ O'Sullivan, Arthur; Steven M. Sheffrin (2004). Economics: Principles in action. Pearson / Prentice Hall. ISBN 0-13-063085-3.
- ↑ Gorton, GB; et al. (2007). "The Fundamentals of Commodity Futures Returns". SSRN 996930.