नेमिचन्द्र शास्त्री
डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री () संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, अर्धमागधी आदि प्राचीन भाषाओं में प्राप्त दर्शन, साहित्य, इतिहास, पौराणिक गाथाओं का उत्स आदि अनेक विषयों के पारंगत विद्वान थे। वे भारत के उन गिने-चुने विद्वानों में से थे जिनके ज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक था। भाषाशास्त्र का उनका पाण्डित्य भी विलक्षण था। वे आरा के एच डी जैन महाविद्यालय (मगध विश्वविद्यालय) के संस्कृत-प्राकृत विभाग के अध्यक्ष थे।
रचनाएँ
- भारतीय ज्योतिष : यह ग्रन्थ ज्योतिषशास्त्र के इतिहास का दिग्दर्शन कराता है। ज्योतिष के सारे सिद्धान्तों का विवेचन करता है, प्रमुख ज्योतिर्विदों का ऐतिहासिक क्रम से परिचय प्रस्तुत करता है। भारतीय ज्ञानपीठ के गौरव-ग्रन्थों में इसका प्रकाशन अपना विशिष्ट स्थान रखता है।
- आचार्य हेमचन्द्र और उनका शब्दानुशासन : एक अध्ययन
- महाकवि भास
- प्राकृत-प्रबोध
- अभिनव प्राकृत व्याकरण
- भद्रबाहुसंहिता
- प्राकृत भाषा एवं साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास
- अलंकार-चिन्तमणि
- संस्कृत साहित्य के विकास में जैन कवियों का योगदान
- लोकविजय यंत्र
- रत्नाकराधीश्वर शतक
- तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा
- बृहद्द्रव्य संग्रह तथा लघु द्रव्यसंग्रह
- मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन[1]
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- महाकवि अजितसेन विरचित अलङ्कार चिन्तामणि (हिन्दी अनुवाद)