नीलकंठ वर्णी
नीलकंठ वर्णी भगवान स्वामिनारायण के बचपन का नाम है। माता पिता की मृत्यु के बाद भगवान स्वामीनारायण ने वैरागी वेश धारण कर के पूरे भारत की यात्रा की थी, उस समय लोग उनको नीलकंठ वर्णी के नाम से पुकारते थे।भगवान स्वामीनारायण ने नीलकंठ वर्णी के रूप में भारत के विविध प्रदेश में १२००० किलोमीटर तक यात्रा की थी।[1]
भारत के आलावा उन्होंने नेपाल और चीन का भी प्रवास किया, हिमालय और मुक्तिनाथ में तप किया, इस दौरान उन्होंने बहोत से चमत्कार भी किए, कई लोगो के जीवन परिवर्तन किए। यात्रा के अंत में जब नीलकंठ वर्णी गुजरात के लॉज गांव में पहुंचे तब वहा के प्रसिद्ध संत रामानंद स्वामी को उन्होंने अपना गुरु माना।
एक वर्ष बाद रामानंद स्वामी ने नीलकंठ वर्णी को भगवती दीक्षा दी ओर उनका नाम स्वामिनारायण रखा। तब से वे भगवान स्वामीनारायण के नाम से जाने और पूजे जाने लगे।
स्वामीनारायण संप्रदाय की श्रेणी में ये लेख हैं:
sapki Bharti ki ki parnam jai Siya ram Neel kanth varni ji 🙏🙏 297 Hari om a
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- ↑ "भगवान स्वामीनारायण का एक रूप नीलकंठ वर्णी". BAPS (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-05-30.