नित्यानन्द स्वामी (परमहंस)
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नित्यानन्द स्वामी, स्वामीनारायण संप्रदाय के संत और स्वामीनारायण परमहंस थे।[1]
जीवनी
नित्यानन्द स्वामी का जन्म दीनमणि शर्मा के रूप में दान्तिया, लखनऊ के निकट एक कस्बे में १७५४ में हुआ था। उनका ज्नम एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम विष्णु शर्मा और माता का नाम विर्जदेवी था और भाई का नाम गोविन्द शर्मा था। उनकी दीक्षा मेघपुर (सौराष्ट्र) में हुई थी। नित्यानन्द स्वामी एक दृढ़ तर्क-वितर्क करनेवाले थे और उन्हें बहुत से ग्रन्थों का गहन ज्ञान था। उनकी मृत्यु १८५० में हुई थी।[2]
कार्य
नित्यानन्द स्वामी बहुत से महत्वपूर्ण कार्यों के लेखक थे जैसे हरि दिग्विजय और श्री हनुमान कवच। उनहोंने शिक्षापत्री का प्रथम गुजराती अनुवाद किया जिसे स्वामीनारायण ने १८२६ में मान्यता दी।[3] वे वचनामृत के सह-लेखक थे।[4]
हरि दिग्विजय
नित्यानन्द स्वामी ने स्वामीनारायण के आदेशानुसार हरि दिग्विजय लिखी। इस ग्रन्थ में बहुत से वितर्कों और चर्चाओं से यह बताने का प्रयास किया गया है की श्री स्वामीनारायण सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं। इस ग्रन्थ में ४९ अध्याय हैं।[2]
सन्दर्भ
- ↑ बेहरामजी मेरवान्जी मालाबारी, कृष्णलाल एम. झावेरी, मालाबारी एम. बी. (१९९७). गुजरात और गुजराती. एशियन एज्यूकेश्नल सर्विसिज़. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8120606515. मूल से 8 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ मई २००९.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link) पृष्ठ २६५
- ↑ अ आ "सदगुरू नित्यानन्द स्वामी".[मृत कड़ियाँ]
- ↑ विलियम्स २००४, पृष्ठ ६१
- ↑ विलियम्स २००१, पृष्ठ १८७
संदर्भग्रन्थ
- विलियम्स, रेमण्ड (२००१). स्वामीनारायण हिन्दुत्व से परिचय. कैम्ब्रिज विश्विद्यालय प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780521654227.
- विलियम्स, रेमण्ड (२००४). दक्षिण एशियाई धर्म और आव्रजन: संग्रहित कार्य पर विलियम्स. एशगेट पब्लिशिंग लि. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0754638561.
- सदगुरू नित्यानन्द स्वामी[मृत कड़ियाँ]