निकुम्भ
निकुम्भ एक सूर्यवंशी राजा थे। राजा निकुम्भ इक्ष्वाकु के १३ वें वंशधर थे। प्राचीन वंश होने के कारण इस वंश की प्रसिद्धि समस्त भारतीय इतिहास में हैं। गहिलौतों से पहले मण्डलगढ़ के स्वामी निकुम्भ ही थे। निकुम्भ वंशी राजा बाहुमान थे। सूर्य वंशी राजा निकुम्भ के वंश में मान्धाता कोली , भागिरथ, अज, दशरथ और श्री रामचन्द्रजी का अवतार (औतार) हुआ था। इन्हीं के वंश में कई पीढ़ी बाद विक्रम का पुत्र भास्कर भट्ट उसका पुत्र मनोहर भट्ट उसका पुत्र महेश्वरा चार्य, उनका पुत्र सिद्धान्त शिरोमणि प्रसिद्धि भास्कराचर्या उसका पुत्र लक्ष्मीधर उसका पुत्र चंगदेव गिरि के राजा सिंधण के दरबार का मुख्य ज्योतिषी था। चंगदेव ने अपने दादा के सिद्धान्त को पूरा करने के लिए ज्योतिषी की एक पाठशाला स्थापित की थी। सोई देव का छोटा भाई हेमाद्र देव था, जो उसका उत्तराधिकारी हुआ। खानदेश के अलावा राजपूताने में भी मंडलगढ़, अलवर और उत्तरी जयपुर का कि श्री निकुम्भ राजा के द्वारा बनवाये गये थे। यहां के इलाकों को मुसलमानों द्वारा छीन लेने पर भी यह अलवर के स्वामी बने रहे । अब इनका कोई बड़ा राज्य नहीं है केवल जमींदारियाँ शेष रह गई हैं । हरदोई, गाजीपुर, आजमगढ़ तथा मऊ में इनका ठिकाना (जमीदारी) है जो अपना मूल ठिकाना अलवर बताते हैं, अवध में भी ताल्लुकेदार निकुम्भ बंशी हैं, इनको रघुवंशी भी कहते हैं।
वंशावली
,
ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्रों मे से एक मरीचि हैं।
- 1- ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि
- 2- मरीचि के पुत्र कश्यप
- 4- विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु - जिनसे सूर्यवंश का आरम्भ हुआ।
- 5- वैवस्वत के पुत्र नभग
- 6- नाभाग
- 7- अम्बरीष- संपूर्ण पृथ्वी के चक्रवर्ती सम्राट हुये।
- 8- विरुप
- 9- पृषदश्व
- 10- रथीतर
- 11- इक्ष्वाकु - ये परम प्रतापी राजा थे, इनसे इस वंश का एक नाम इक्ष्वाकु वंश हुआ। (दूसरी जगह इनके पिता वैवस्वत मनु भी वताये जाते हैं )
- 12- कुक्षि
- 13- विकुक्षि
- 14- पुरन्जय
- 15- अनरण्य प्रथम
- 16- पृथु
- 17- विश्वरन्धि
- 18- चंद्र
- 19- युवनाश्व
- 20- वृहदश्व
- 21- धुन्धमार
- 22- दृढाश्व
- 23- हर्यश्व
- 24- निकुम्भ
- 25- वर्हणाश्व
- 26- कृशाष्व
- 27- सेनजित
- 28- युवनाश्व द्वितीय
यहाँ से त्रेतायुग आरम्भ होता है।
- 29- मान्धाताको़ली
- 30- पुरुकुत्स
- 31- त्रसदस्यु
- 32- अनरण्य
- 33- हर्यश्व
- 34- अरुण
- 35- निबंधन
- 36- सत्यवृत (त्रिशंकु)
- 37- सत्यवादी हरिस्चंद्र
- 38- रोहिताश
- 39- चम्प
- 40- वसुदेव
- 41- विजय
- 42- भसक
- 43- वृक
- 44- बाहुक
- 45- सगर
- 46- अमंजस
- 47- अंशुमान
- 48- दिलीप प्रथम
- 50- श्रुत
- 51- नाभ
- 52- सिन्धुदीप
- 53- अयुतायुष
- 54- ऋतुपर्ण
- 55- सर्वकाम
- 56- सुदास
- 57- सौदास
- 58-अश्मक
- 59- मूलक
- 60- सतरथ
- 61- एडविड
- 62- विश्वसह
- 63- खटवाँग
- 64- दिलीप (दीर्घवाहु)
- 65- रघु - ये सूर्यवंश के सवसे प्रतापी राजा हे।
- 66- अज
- 67- दशरथ
- 68- राम (लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन)
- 69-कुश
यहाँ से द्वापर युग शुरु होता है।
- 70- अतिथि
- 71- निषध
- 72- नल
- 73- नभ
- 74- पुण्डरीक
- 75- क्षेमधन्मा
- 76- देवानीक
- 77- अनीह
- 78- परियात्र
- 79- बल
- 80- उक्थ
- 81- वज्रनाभ
- 82- खगण
- 83- व्युतिताष्व
- 84- विश्वसह
- 85- हिरण्याभ
- 86- पुष्य
- 87- ध्रुवसंधि
- 88- सुदर्शन
- 89- अग्निवर्ण
- 90- शीघ्र
- 91- मरु
- 92- प्रश्रुत
- 93- सुसंधि
- 94- अमर्ष
- 95- महस्वान
- 96- विश्वबाहु
- 97- प्रसेनजित
- 98- तक्षक
- 99- वृहद्वल
- 100- वृहत्रछत्र
यहाँ से कलियुग आरम्भ होता है।
क्षेत्र
जौनपुर ,आजमगढ़,केराकत (अकबरपुर),डेडुवाना[चौथी पट्टी] , ,हुरुहुरी ग्राम,गाजीपुर,शीतलपुर, दरभंगा, आरा, भागलपुर आदि जिलों में पाए जाते हैं। ये उत्तर प्रदेश में यत्र-तत्र पाए जाते हैं। ये सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं। राजा इक्ष्वाकु के 13वें वंशधर निकुम्भ के हैं।
अन्य देखे
सन्दर्भ
"Nikumbh Rajput". Rajput Status. 11 July 2018.