नायनमार
हिन्दू धर्म में नयनार भगवान शिव के भक्त सन्त थे। इनका उद्भव मध्यकाल में मुख्यतः दक्षिण भारत के तमिलनाडु में हुआ था। कुल 63 नयनारों ने शैव सिद्धान्तो के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रकार विष्णु के भक्त सन्तों को आलवार कहते हैं।
ये सभी नायत्मार मुक्तात्मा माने जाते हैं। इनकी मूर्तियाँ मंदिरों में स्थापित की गई है और इनकी पूजा भगवान के समान ही की जाती है। इन संतों का चरित्र शेक्किषार नामक भक्तकवि के पेरियपुराण में वर्णित है। इन संतों का जीवन तेलुगु में 'शिवभक्त चरितमु' के नाम से प्रकाशित हुआ है।
६३ नयनार सन्त
- अनय नयनार
- आदिपत्त नयनार
- अय्यडिगल् कडवर्कान् नयनार
- अमरनीदि नयनार्
- अप्पुदि अडिगळ्
- अरिवट्टय नयनार
- चंडीश्वर नयनार
- दंडियदिगळ् नयनार
- ऎनटिनाथ नयनार
- ऎरिपात्त नयनार
- अय्यर्कान् कालिक्काम नयनार
- गणनाथ नयनार
- इडन् गाजि नयनार
- इलयान् कुडिमारनायनारु
- इयर् पगै नयनार
- कलिकांब नयनार
- कालिय नयनार
- कानम पुल्ल नयनार
- कन्नप्प नायनारु
- करैक्कल् अम्मय्यारु(कारक्काल् अम्म)
- कज् हार् सिंग नयनार
- कझरित्ररिवार् (चेरमान् पॆरुमाळ् नयनार)
- कोचॆन् गाट् चोळ नयनार
- कूत्रुव नयनार
- कोट्पुलि नयनार
- कुलाचिरायि नयनार
- मनकंचार नयनारगुग्गुलु कलश नयनार
- मंगयार् करशियार्
- मॆय् पॊरुल् नयनार
- मूर्ख नयनार
- मूर्ति नयनार
- मुनैयडुवारु
- मुरुग नयनार
- नामिनंदि अडिगळ्
- नरसिंग मुनियारय्यरु
- नेश नयनार
- निन्राऋषि नॆडुमर नयनार
- पॆरुमिजहलायि नयनार
- पूसलार् नयनार
- पूगल् चोळ नयनार
- पूगज् तुनायि नयनार
- सक्किय नयनार
- सदय नायनारु
- सत्ति नयनार
- शेरुतुनायि नयनार
- शिरप्पुलि नयनार
- शिरुतॊंड नयनार
- सोमशिर नयनार
- सुंदर्राम्मूर्ति
- तिरुज्ञान संबंधारु
- तिरुकुरिप्पु तॊंडनयनार
- तिरुमूल नयनार
- तिरुनालै पोवार् नयनार (नंदनार)
- तिरुनवुक्करसारु नयनार
- तिरुनीलकंठ नयनार
- तिरुनीलकंठ याज् पनार् नयनार
- तिरुनीलनक्कार् नयनार
- रुद्रपशुपति नयनार
- वायिलारु नयनार
- विराल् मिंड नयनार
- इयर् कान् कलिकाम नयनार
- करि नयनार
- इसै ज्ञाननियार