धर्मवीर भारती
डॉ धर्मवीर भारती | |
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जन्म | 25 दिसम्बर 1926 इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
मौत | 4 सितम्बर 1997 मुम्बई | (उम्र 70)
पेशा | लेखक (निबन्धकार, उपन्यासकार, कवि) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | एम ए हिन्दी, पी-एच डी |
उच्च शिक्षा | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
उल्लेखनीय कामs | गुनाहों का देवता (1949, उपन्यास) सूरज का सातवाँ घोड़ा (1952, उपन्यास) अंधा-युग (1953, नाटक) |
खिताब | 1972: पद्मश्री 1984: वैली टर्मेरिक द्वारा सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार 1988: महाराजा मेवाड़ फाउण्डेशन का सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार 1989: संगीत नाटक अकादमी राजेन्द्र प्रसाद सम्मान भारत भारती सम्मान 1994: महाराष्ट्र गौरव कौडीय न्यास व्यास सम्मान |
जीवनसाथी | कान्ता भारती (विवाह 1954 में) (प्रथम पत्नी), पुष्पा भारती (दूसरी पत्नी) |
बच्चे | पुत्री परमिता (प्रथम पत्नी से); पुत्र किंशुक भारती और पुत्री प्रज्ञा भारती (दूसरी पत्नी से) |
धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।[1]
डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस पर श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है।
जीवन परिचय
धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद के अतर सुइया मुहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री चिरंजीव लाल वर्मा और माँ का श्रीमती चंदादेवी था। स्कूली शिक्षा डी. ए वी हाई स्कूल में हुई और उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में। प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर उन्होंने पी-एच०डी० प्राप्त की।
घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद और विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु और उससे उत्पन्न आर्थिक संकट इन सबने उन्हें अतिसंवेदनशील, तर्कशील बना दिया। उन्हें जीवन में दो ही शौक थे : अध्ययन और यात्रा। भारती के साहित्य में उनके विशद अध्ययन और यात्रा-अनुभवोंं का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है:
- जानने की प्रक्रिया में होने और जीने की प्रक्रिया में जानने वाला मिजाज़ जिन लोगों का है उनमें मैं अपने को पाता हूँ। (ठेले पर हिमालय)
उन्हें आर्यसमाज की चिंतन और तर्कशैली भी प्रभावित करती है और रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत। प्रसाद और शरत्चन्द्र का साहित्य उन्हें विशेष प्रिय था। आर्थिक विकास के लिए मार्क्स के सिद्धांत उनके आदर्श थे परंतु मार्क्सवादियों की अधीरता और मताग्रहता उन्हें अप्रिय थे। ‘सिद्ध साहित्य’ उनके शोध’ का विषय था, उनके सटजिया सिद्धांत से वे विशेष रूप से प्रभावित थे। पश्चिमी साहित्यकारों में शीले और आस्करवाइल्ड उन्हें विशेष प्रिय थे। भारती को फूलों का बेहद शौक था। उनके साहित्य में भी फूलों से संबंधित बिंब प्रचुरमात्रा में मिलते हैं।
आलोचकों में भारती जी को प्रेम और रोमांस का रचनाकार माना है। उनकी कविताओं, कहानियों और उपन्यासों में प्रेम और रोमांस का यह तत्व स्पष्ट रूप से मौजूद है। परंतु उसके साथ-साथ इतिहास और समकालीन स्थितियों पर भी उनकी पैनी दृष्टि रही है जिसके संकेत उनकी कविताओंं, कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, आलोचना तथा संपादकीयों में स्पष्ट देखे जा सकते हैं। उनकी कहानियों-उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन के यथार्थ के चित्रा हैं ‘अंधा युग’ में स्वातंत्रयोत्तर भारत में आई मूल्यहीनता के प्रति चिंता है। उनका बल पूर्व और पश्चिम के मूल्यों, जीवन-शैली और मानसिकता के संतुलन पर है, वे न तो किसी एक का अंधा विरोध करते हैं न अंधा समर्थन, परंतु क्या स्वीकार करना और क्या त्यागना है इसके लिए व्यक्ति और समाज की प्रगति को ही आधार बनाना होगा-
- पश्चिम का अंधानुकरण करने की कोई जरूरत नहीं है, पर पश्चिम के विरोध के नाम पर मध्यकाल में तिरस्कृत मूल्यों को भी अपनाने की जरूरत नहीं है।
उनकी दृष्टि में वर्तमान को सुधारने और भविष्य को सुखमय बनाने के लिए आम जनता के दुःख दर्द को समझने और उसे दूर करने की आवश्यकता है। दुःख तो उन्हें इस बात का है कि आज ‘जनतंत्र‘ में ‘तंत्र‘ शक्तिशाली लोगों के हाथों में चला गया है और ‘जन’ की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। अपनी रचनाओं के माध्यम से इसी ‘जन’ की आशाओं, आकांक्षाओं, विवशताओं, कष्टों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास उन्होंने किया है।
कार्यक्षेत्र : अध्यापन। १९४८ में 'संगम' सम्पादक श्री इलाचंद्र जोशी में सहकारी संपादक नियुक्त हुए। दो वर्ष वहाँ काम करने के बाद हिन्दुस्तानी अकादमी में अध्यापक नियुक्त हुए। सन् १९६० तक कार्य किया। प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापन के दौरान 'हिंदी साहित्य कोश' के सम्पादन में सहयोग दिया। निकष' पत्रिका निकाली तथा 'आलोचना' का सम्पादन भी किया। उसके बाद 'धर्मयुग' में प्रधान सम्पादक पद पर बम्बई आ गये।
१९९७ में डॉ॰ भारती ने अवकाश ग्रहण किया। १९९९ में युवा कहानीकार उदय प्रकाश के निर्देशन में साहित्य अकादमी दिल्ली के लिए डॉ॰ भारती पर एक वृत्त चित्र का निर्माण भी हुआ है।
प्रमुख कृतियां
- कहानी संग्रह : मुर्दों का गाँव 1946, स्वर्ग और पृथ्वी 1949 , चाँद और टूटे हुए लोग 1955, बंद गली का आखिरी मकान 1969, साँस की कलम से, समस्त कहानियाँ एक साथ
- काव्य रचनाएं : ठंडा लोहा(1952), सात गीत वर्ष(1959), कनुप्रिया(1959) सपना अभी भी(1993), आद्यन्त(1996)),देशांतर(1960)
- उपन्यास: गुनाहों का देवता 1949[2], सूरज का सातवां घोड़ा 1952, ग्यारह सपनों का देश, प्रारंभ व समापन।
- निबंध संग्रह : ठेले पर हिमालय (1958ई०),पश्यन्ती (1969ई०),कहनी-अनकहनी (1970 ई०),कुछ चेहरे कुछ चिन्तन (1995ई०),शब्दिता (1977ई०),मानव मूल्य और साहित्य (1960ई०)।
- एकांकी व नाटक : नदी प्यासी थी, नीली झील, आवाज़ का नीलाम आदि
- पद्य नाटक : अंधा युग 1954 (महाभारत का युगान्त)
- आलोचना : प्रगतिवाद : एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य
भाषा
- अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- 'व्यक्ति स्वातंत्र्य' इनकी कविता का केंद्र बिंदु है।
- आलोचकों ने इनके प्रारंभिक काव्य संग्रह ठंडा लोहा को कैशोर्य भावुकता का काव्य का है।
शैली
भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक आलोचनात्मक हास्य व्यंग्यात्मक।
अलंकरण तथा पुरस्कार
१९७२ में पद्मश्री से अलंकृत डा धर्मवीर भारती को अपने जीवन काल में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए जिसमें से प्रमुख हैं
- १९८४ हल्दी घाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार
- महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन १९८८
- सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी दिल्ली १९८९
- भारत भारती पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान 1989
- महाराष्ट्र गौरव, महाराष्ट्र सरकार १९९४
- व्यास सम्मान के के बिड़ला फाउंडेशन
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- धर्मवीर भारती का आधिकारिक जालघर
- धर्मवीर भारती ग्रन्थावली, भाग-९ (गूगल पुस्तक ; लेखक - चन्द्रकान्त बंदिवादेकर)
- साहित्य विचार और स्मृति (गूगल पुस्तक ; लेखकद्वय - पुष्पा भारती, धर्मवीर भारती)
- लेखन पर पाबंदी नामंजूर थी धर्मवीर भारती को (प्रभासाक्षी)
- आर्य जगत के सुप्रसिद्घ विद्वान डॉ.धर्मवीर का लघु जीवनचरित
- धर्मवीर भारती की कविताएं Archived 2020-10-27 at the वेबैक मशीन