धनाऊ
धनाऊ Dhanau | |
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तहसील | |
देश | India |
राज्य | राजस्थान |
जिला | बाड़मेर |
शासन | |
• प्रणाली | Democratic |
• सभा | Block |
ऊँचाई | 134 मी (440 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 10,112 |
भाषा | |
• अधिकारिक | हिन्दी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
वाहन पंजीकरण | Rj 04 |
नजदीक शहर | बाड़मेर, बालोतरा |
धनाऊ भारतीय राज्य राजस्थान के बाड़मेर जिले की एक तहसील है। यह बाड़मेर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दक्षिण दिशा में, बाड़मेर से चौहटन जाने वाली सड़क से आगे चौहटन से सेड़वा जाने वाली सड़क पर स्थित है। धनाऊ वर्तमान में पंचायत समिति मुख्यालय भी है। धनाऊ मुख्यालय पाकिस्तान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर दूर है।
धनाऊ की आस-पास कृषि कुएं बहुतायत में हैं, जिनसे लोग अपनी फसलें उगाते है। यहां मीठा पानी है जिसकी वजह से फसलें भी अच्छी होती है। रबी की फसल में यहां जीरा और इसबगोल की फसल बहुत ज्यादा ली जाती है। यहां की मिट्टी रेतीली दुम्मट है और यहां रेत के धौरे बहुत ज्यादा मात्रा में है।
सन्दर्भ
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श्रेणी:बाड़मेर...' से बदल रहा है।
धनाऊ भारतीय राज्य राजस्थान के बाड़मेर जिले की एक तहसील है। यह बाड़मेर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दक्षिण दिशा में है। यह बाड़मेर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दक्षिण दिशा में, बाड़मेर से चौहटन जाने वाली सड़क से आगे चौहटन से सेड़वा जाने वाली सड़क पर स्थित है। धनाऊ वर्तमान में पंचायत समिति मुख्यालय भी है। धनाऊ मुख्यालय पाकिस्तान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। धनाऊ से 10 km दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित सांवा गाँव हस्तशिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है, इस गाँव के लोग कहीं बाहर मजदूरी करने नहीं जाते है क्योंकि इसी गाँव में स्वरोजगार के साधन उपलब्ध हैं!सांवा गाँव में 20-25 कपड़ा फैक्ट्री है जिनमें कपड़ों पर कशीदाकारी और भरत का काम होता हैं, यहाँ से तैयार कपड़ा भारत के महानगरों और विदेशों में भी निर्यात किया जाता हैं| सांवा गाँव में स्थित देराणी-जेठाणी नामक रेत के टीले थार के मरुस्थल में सर्वाधिक उचाई वाले टीले माने जाते हैं!
धनाऊ की आस-पास कृषि कुएं बहुतायत में हैं, जिनसे लोग अपनी फसलें उगाते है। यहां मीठा पानी है जिसकी वजह से फसलें भी अच्छी होती है। रबी की फसल में यहां जीरा और इसबगोल की फसल बहुत ज्यादा ली जाती है। यहां की मिट्टी रेतीली दुम्मट है और यहां रेत के धौरे बहुत ज्यादा मात्रा में है।
सांवा
सांवा गाँव दुनिया में कशीदाकारी कार्य के लिए प्रसिद्ध है। सर्वप्रथम इस गांव में कशीदाकारी की शुरुआत ( गठेर हस्त कला केंद्र सांवा ) चतराराम गढ़वीर ने की थी। 1971में भारत -पाक युद्ध में विस्थापित होकर आये लोगों ने इसे विश्वप्रसिध्द बना दिया। सुरेश गढ़वीर,लाखाराम गढ़वीर,ईशराराम गढ़वीर,रावताराम जोगू, अमोलख जोगू, जाझाराम, सूजाराम जोगेश यहाँ के प्रसिद्ध कशीदाकारक है। इस गांव में इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर के समय के पाँच अतिप्राचीन कुँए मौजूद है। इन कुओं पर शोध करने वाले धाट के युवा इतिहासकार जितेन्द्र गढ़वीर (सिंणी रो फुल) भाटों की बहियो को आधार पर लेकर लिखते हैं - " सेंस खड़ाया सांगरू कुआं करोड़ हजार" जितेन्द्र गढ़वीर ने अपनी अप्रकाशित पुस्तक 'धाटनामा' में इस गांव का सम्पूर्ण इतिहास लिखा हैं। कहा जाता है कि वर्तमान यहाँ स्थित अम्बेडकर नगर एक जमाने में भूतों का नगर हुआ करता था। वर्तमान में अम्बेडकर नगर में 1971 के भारत पाक के विस्थापित लोगों की पीढी़याँ निवास कर रही हैं।
देराणी - जेठाणी के धोरें
यहाँ देराणी - जेठाणी के प्रसिद्ध रेत के टीलें स्थित है। पूरे भारतवर्ष में इनसे बड़े रेत के टीलें कहीं भी नहीं है। सांवा गाव में यह रेत के टीलें स्थित है।
पाइनियर आॅफ हैंडीक्राफ्ट
यहाँ के भूतपूर्व सरपंच चतराराम गढ़वीर को पाइनियर आॅफ हैंडीक्राफ्ट की उपाधि दी गयी है। जिन्होंने कशीदाकारी की कला को पूरी दुनिया के सामने पेश किया है। 20 मई 2023 को पाइनियर आफ़ हैंडीक्राफ्ट का आकस्मिक निधन हो गया। इस व्यक्ति ने भरत की स्थानीय कला को सम्पूर्ण विश्व के सामने रखा।