द्वादशी शिया
द्वादशी शिया या बारहवे शिया या इमामी शिया (अरबी: اثنا عشرية, अथ़ना अशरियाह; फ़ारसी: شیعه دوازدهامامی, शिया दवाज़देह एमामी; अंग्रेज़ी: Twelver Shia) शिया इस्लाम की सबसे बड़ी शाखा है। यह मानते हैं कि इनके पहले बारह इमाम (धार्मिक नेता) दिव्य रूप से चुने हुए थे। इनकी मान्यता है कि बारहवे (यानि अंतिम) इमाम जो ८७३-८७४ ईसवी में ग़ायब हो गए थे, भविष्य में लौट कर आएँगे। इन आने वाले बारहवे इमाम को 'महदी' कहा जाता है। पूरे शिया समुदाय में से लगभग ८५% बारहवे शिया ही होते हैं।[1][2]
बारहवे शियाओं की मान्यताएँ इस्माइली शिया जैसे अन्य सम्बंधित समुदायों से मिलती हैं हालांकि उनमें आपस में इमामों की संख्या को लेकर और एक इमाम से अगले इमाम की उत्तराधिकारिता को लेकर असहमति है। यह इमाम की भूमिका और परिभाषा को लेकर भी आपस में असहमत हैं।
वाराह इमाम
इस सिलसिले को मानने वालों को बारह इमामी या इस्नाअशरी शिया कहा जाता है।
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इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Middle East, western Asia, and northern Africa Archived 2014-09-11 at the वेबैक मशीन, Ali Aldosari, pp. 534, Marshall Cavendish, ISBN 978-0-7614-7571-2, ... Most Iranian Shiites - about 89 percent - belong to the community known as Twelver Shia. who believe in 12 successive leaders (or imamsl after the Prophet Muhammad ...
- ↑ Encyclopedia of the Peoples of Africa and the Middle East Archived 2013-07-26 at the वेबैक मशीन, Facts On File, Incorporated, pp. 50, Infobase Publishing, 2009, ISBN 978-1-4381-2676-0, ... The Twelver Shia believed that Musa, the younger son of the sixth imam, Jafar al-Sadiq, was the rightful descendant of his father, and now await the return of the 12th Husaynid imam, who disappeared in 873–874 ...