दसराज
दसराज बुन्देलखण्ड के rajput योद्धा आल्हा और ऊदल के पिता थे।
भविष्य पुराण के अनुसार, बक्सर नामक ग्राम में व्रतपा नामक Rani) स्त्री रहती थी। उसने देवी दुर्गा की उपासना की तब देवी ने प्रसन्नकर उससे कहा है शोभने वर मांगो। तब व्रतपा ने कहा माता यदि आप वर प्रदान करना चाहती हैं, तब हे स्वामिनी यह वर प्रदान करें की मेरे कुल में राम-कृष्ण जैसे दो बली बालक उत्पन हों। देवी एवमस्तु कहकर वहीं अंतर्धान हो गई। वसुमान नामक राजा ने उस पर मुग्ध होकर उससे विवाह संपन्न किया तथा अपने महल में उसे स्थान दिया। उससे राजा को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई जिनके नाम दसराज तथा वत्सराज थे। ये कई हाथी जितने बली थे। उन दोनो ने मगधराज पर विजय पाकर वहां का राज्य ग्रहण किया।[1][2]
सन्दर्भ
- ↑ Khem Raj Shri Krishna Lal, Shri Venkateshwar Steam Press. Bhavishya Maha Puran, 1959 Khem Raj Shri Krishna Lal, Shri Venkateshwar Steam Press, Mumbai.
इति श्रत्वा स भगवान्कृष्णः प्राह बिहस्य तम्। भो कले तब रक्षार्थ जनिष्ये महाबतीम॥१९॥ ममांशो भूमिमासाद्य क्षयिष्यति महाबलात्। म्लेच्छवंशस्य भूपालान्स्थापयिष्यति भूतले॥२०॥ इत्युक्त्वा भगवान्साक्षात्तत्रेवान्तरधीयत। कलिस्तु म्लेच्छया साधे परमानंदमाप्तवान्॥२१॥ एरतास्मन्नन्तरे विग्र यथा जात श्रृणुष्व तत्। आभीरी वाक्सरे ग्रामे व्रतपा नाम विश्वुता॥२२॥ नवदुगांव्रत श्रेष्ठ नववर्ष चकार ह। प्रसन्ना चंडिका प्राह परं वरय शोभने॥२३॥ साह तां यदि मे मातरो देयस्त्वयेश्वरि। रामकृष्णसमी बालौ भवेयातां ममान्बये॥२४॥ तथेत्युक्त्वा तु सा देवी तत्रैवान्तरधीयत। बसुमान्नाम नृपतिस्तस्या रूपेण मोहितः॥२५॥ उद्वाह्य धमतो भूपः स्वगेहे तामवासयत्। तस्यां जातौ तृपातपुत्रौ देशराजस्तु तद्वरः॥२६॥ आवार्यो वत्सराजश्च शतहर्तिसमो बले। जित्वा तौ मागधान्देशान्राज्यवंतौ बभूवतुः॥२७॥
- ↑ Sharma, Dr. Ganga Sahai (2009-02-15). Rethinking India's Oral and Classical Epics - Draupadi Among Rajputs, Muslims, and Dalits (अंग्रेज़ी में). University of Chicago Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780226340555.
DeSaraja and Vatsaraja are born to a beautiful Abhiri(Ahir or Cowherd) named Vratapa from the village of Vaksara, whose nine-year-long nine-Durga-vow (Navadurgavrata) secured a boon from the goddess Candika of two sons like Rama and Krsna. “A king named Vasumant,” whose name means “Rich” and is otherwise unknown, was struck by her beauty and married her, and their sons, DeSaraja and Vatsaraja, then conquered Magadha and became kings (4.22-30).