त्रिकाया
त्रिकाय बौद्ध धर्म की महायान शाखा की एक अवधारणा है जिसके अनुसार किसी जीव के बुद्धत्व प्राप्त होने पर उसके अस्तित्व की तीन काय होती हैं।[1] यह तीन काय इस प्रकार हैं:[2]
- धर्मकाय - इसमें सत्य और बोध का अनंत वास होता है, और यह काया असीम है।
- सम्भोगकाय - इसमें आनन्द और प्रकाश का वास होता है।
- निर्माणकाय - यह काय समय और स्थान के अनुसार प्रकट दिखती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ John J. Makransky: (August 1997) Buddhahood Embodied: Sources of Controversy in India and Tibet, Publisher: State University of New York Press, ISBN 0-7914-3432-X (10), ISBN 978-0-7914-3432-1 (13), [3]
- ↑ Welwood, John (2000). The Play of the Mind: Form, Emptiness, and Beyond Archived 2016-10-01 at the वेबैक मशीन, accessed January 13, 2007