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तिल्ली

प्लीहा
en

Human spleen removed from a cadaver

Spleen
विवरण
लातिनीLien
यूनानीsplḗn–σπλήν[1]
अग्रगामीMesenchyme of dorsal mesogastrium
तंत्रImmune system (lymphatic system and mononuclear phagocyte system)
Splenic artery
Splenic vein
Splenic plexus
अभिज्ञापक
ग्रेp.1282
चिकित्सा विषय शीर्षकA10.549.700
Dorlands
/Elsevier
Spleen
टी एA13.2.01.001
एफ़ एम ए7196
शरीररचना परिभाषिकी

प्लीहा या तिल्ली (Spleen) एक अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाता है। मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तथा रक्त का संचित भंडार भी है। यह रोग निरोधक तंत्र का एक भाग है।

प्लीहा शरीर की सबसे बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि (ductless gland) है, जो उदर के ऊपरी भाग में बाईं ओर आमाशय के पीछे स्थित रहती है। इसकी आंतरिक रचना संयोजी ऊतक (connective tissue) तथा स्वतंत्र पेशियों से होती है। इसके अंदर प्लीहावस्तु भरी रहती है, जिसमें बड़ी बड़ी प्लीहा कोशिकाएँ तथा जालक कोशिकाएँ रहती हैं। इनके अतिरिक्त रक्तकरण तथा लसीका कोशिकाएँ भी मिलती हैं।

प्लीहा के कार्य

ये निम्नलिखित हैं :

  • १. यह गर्भ की प्रारंभिक अवस्था में रक्तकणों का निर्माण करती है, किंतु बाद में यह कार्य अस्थिमज्जा द्वारा होने लगता है। तब यह मुख्यत: कोशिका के रूप में रहती है, जहाँ से रक्तकण संचित होकर रुधिर वाहिनियों में जाते हैं।
  • २. यहाँ रुधिरकणों का विघटन भी होता है। इसीलिए प्लीहा में लौह की मात्रा अधिक मिलती है।
  • ३. यह प्रोटीन के उपापचय (metabolism) में योग देती है (विशेषत: यूरिक अम्ल के निर्माण में )।
  • ४. यह पित्तरंजकों, पित्तारुण तथा पित्तहरित निर्माण करती है।
  • ५. यह पाचकनलिका, विशेषत: रक्तवाहिनियों के कोश का कार्य करती है, क्योंकि भोजन के पाचनकाल में यह संकुचित होकर पाचन के हेतु रुधिर को बाहर भेजती है।
  • ६. इसमें से एक अन्तःस्राव निकलता है, जो आमाशय ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
  • ७. यह रक्तनिस्यंदक के रूप में भी कार्य करती है, जिससे रुधिर में प्रविष्ट जीवाणु छनकर वहीं पृथक् हो जाते हैं और श्वेत कणों (W.B.C.) के जीवाणुभक्षण (phagocytosis) द्वारा अंदर ही अंदर नष्ट हो जाते हैं।

सन्दर्भ

  1. σπλήν, Henry George Liddell, Robert Scott, A Greek-English Lexicon, on Perseus Digital Library