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ढिंढोर

ढिंढोर या ढ़ड़होर या ढढोर अहीर या यादव जाति की एक शाखा हैं[1] जो भारतीय राज्य के उत्तरप्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश ज़िलों मे निवास करती हैं। इनका उल्लेख मुग़लकालीन किताब तशरीह-उल-अकवाम में भी किया गया हैं।[2] उसमे लिखा हैं की ढ़ढोर अहीर जाती का एक कबीला हैं।[3][][][] इनमें से कुछ उत्तर प्रदेश राज्य के इटावा और मैनपुरी के बीच के क्षेत्र में रहते हैं।[4]

सूरजबली सिंह रावत.
स्व. सूरजबली रावत सूर्यकुड़िया इस्टेट के जमींदार.

शारीरिक बनावट

ढ़ढोर अहीरों का रंग गोरा और शारीरिक बनावट, कद-काठी अन्य जातियों के तुलना मे अच्छा होता है। और ये अपने मजबूत शरीर पे गर्व करते है।

नागपंचमी के दिन दोपहर मे लगभग ढ़ढोर अहीर कुश्ती लड़ते है तथा तलवारबाजी और लाठी भाजते है। उस दिन इनके कुश्ती को देखने के लिए काफ़ी लोग इकट्ठा होते है।[5]

पेशा

ढ़ढोर अहीर हमेशा से ही जागीरदारजमींदार रहे हैं। पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड में इनकी कई बड़ी और छोटी जमींदारी रही हैं। जैसे गोरखपुर की भिटी रावत जागीर, सिद्धार्थनगर का सूर्यकुड़िया एस्टेट, कानपुर का बाभलपुर एस्टेट, देवरिया की मईल जमींदारी, बलिया की कठौड़ा जमींदारी, मीरपुर जमींदारी, बरशूधा जमींदारी इत्यादि।[] आजादी के लड़ाई मे भी इनका अतुलन्य योगदान रहा है।[] क्रन्तिकारी भगवान अहीर और कोमल अहीर इसी कुल के थे।[][] अहबरन खैरीगढ़ के अहीर जागीरदार थें। उन्होंने खीरी (खैरीगढ़) की घेराबंदी की, जो मुगल साम्राज्य के अधीन था और इस क्षेत्र पर उनका एक मजबूत स्वतंत्र शासन था। अकबर ने उनका उल्लेख एक क्रूर राजा के रूप में किया था।[6] अवध के खैराबाद प्रांत में पाली और बावन परगनों के मालिक अहीर थे।[7]

जनसंख्या

उत्तर प्रदेश गजेटियर के अनुसार, पूर्वी उत्तर प्रदेश में ढ़ढोर अहीरों की संख्या कम हैं और ग्वालबंस के अहीरों की संख्या ज्यादा हैं।[8]

सामाजिक स्तर

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक सर्वें में यह पाया गया था की पूर्व जमींदारों व महंतो के अलावा, कुर्मी और अहीर के पूर्व-काश्तकार वर्गों से धनी किसानों का एक नया वर्ग उभरा है, जो अब 'भूमिदार' के रूप में भू-स्वामित्व वाले भूतपूर्व जमींदारों के स्तर तक पहुंच गया है और बस्ती की कृषि प्रक्रियाओं पर एक 'नए धनी वर्ग' के रूप में मजबूत दबाव डाल रहा है।[9]

इतिहास

ढ़ढोर अहीरों का निकास राजस्थान के ढूंढाड़ क्षेत्र से हुआ हैं। इसी क्षेत्र के नाम से इनका नाम ढ़ढोर पड़ा। राजस्थान के जयपुर जिले और इसके आप पास के जिले जैसे डिग, बयाना, करौली और धोलपुर को ढूंढाड़ क्षेत्र कहा जाता है। यहाँ पे ढूंढाड़ी भाषा भी बोली जाती है।[] मुस्लिम आक्रमणकारियों के दौर में राजस्थान के ढूंढाड़ क्षेत्र से विस्थापित होकर ढ़ढोर उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल, बुंदेलखंड, कानपुर और मध्यप्रदेश में छोटी-छोटी स्वतन्त्र जागीर स्थापित कर आबाद हुएँ। गोरखपुर के मगहर में इनकी एक प्रसिद्ध जागीर थी, जिसके जागीरदार झींन्नू रावत हुआ करते थें, यह वर्तमान में भिटी रावत जमींदारी के नाम से प्रसिद्ध है।[] अयोध्या और गोरखपुर मे इनके द्वारा मंदिर भी बनवाया गया है। रावत जी का एक भव्य मंदिर रावत मंदिर अयोध्या (फैज़ाबाद) में स्थित है जिसके पुजारी आज भी इनके परिवार के लोग ही नियुक्त करते हैं। पहले इनका परिवार का निवास स्थान फैज़ाबाद मे था। 1872 के एक रिपोर्ट के अनुसार फैजाबाद परगने के कुछ अहीर जमींदारो ने अपने आप को बैराठ (जयपुर) के अहीर राजा के वंशज होनें का दावा किया है। एक अन्य विवरण यह है कि उन्हें राजा चंद्रसेन ने वहां बसाया था।[][][][]

ढिंढोर अहीर दावा करते हैं कि वे सेनापुर (जौनपुर) के पहले निवासी थे, और हो सकता है कि मूल ठाकुर निवासियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं की रही हो।[10]

उल्लेखनीय लोग

मुख्य शासक और जमींदार

  • राजा विजयपाल यदुवंशी (बयाना)
  • राजा हिरचंद यादव (जौनपुर)
  • भीटी रावत (गोरखपुर)
  • स्व. सूरजबली रावत (पटना सिटी)
  • ठाकुर राम सिंह यादव (जबलपुर)
  • स्व. लालवचन चौधरी

प्रसिद्ध नेता

  • मॉरिशस के स्वर्गीय प्रधान मंत्री प्रवीण जगन्नाथ (मूलत: बलिया, यूपी)
  • चौधरी बालेश्वर सिंह यादव
  • यशपाल सिंह रावत
  • स्व. जगतनाथ चौधरी
  • शारदा प्रसाद रावत

प्रसिद्ध योद्धा

  • राजा हिरचंद यादव
  • अमर शहीद भगवान अहीर (चौरी चौरा कांड)
  • वीर लोरिक देव
  • वीर दुबरी सिंह
  • शहीद जमुना प्रसाद रावत
  • बाबा बगहा सिंह
  • चौधरी कोमल सिंह यादव

संदर्भ

  1. Maheshwari, Anil (2022-01-20). Uttar Pradesh Elections 2022: More than a State At Stake (UP Elections) (अंग्रेज़ी में). Om Books International. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-91258-48-1.
  2. Forbes, Duncan (2023-06-08). A Dictionary , Hindustani and English: Part I (अंग्रेज़ी में). BoD – Books on Demand. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-382-33056-9.
  3. Crooke, William (1999). The tribes and castes of the North-Western Provinces and Oudh. Public Resource. New Delhi : Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1210-5.
  4. "Lok Sabha Elections 2014: Going over the great divide in Varanasi". DNA India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-08-26.
  5. https://archive.org/details/bwb_W8-BIB-991/page/468/mode/1up?q=Ahirs+dhanhors
  6. Uttar Pradesh District Gazetteers: Sitapur (अंग्रेज़ी में). Government of Uttar Pradesh. 1964.
  7. Uttar Pradesh District Gazetteers: Sitapur (अंग्रेज़ी में). Government of Uttar Pradesh. 1964.
  8. Pradesh (India), Uttar (1988). Uttar Pradesh District Gazetteers (अंग्रेज़ी में). Government of Uttar Pradesh.
  9. Desai, Akshayakumar Ramanlal (1986). Agrarian Struggles in India After Independence (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-561681-1.
  10. Planalp, Jack M. (1956). Religious Life and Values in a North Indian Village (अंग्रेज़ी में). Cornell University.