डॉ. नैयर मसूद
लखनऊ में १९३६ में जन्मे डॉ॰ मसूद उर्दू के जाने-माने साहित्यकार हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की और इसके बाद इसी विश्वविद्यालय से १९५७ में फारसी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से १९६५ में उन्होंने उर्दू में और लखनऊ विश्वविद्यालय से फारसी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। मसूद ने २१ से अधिक पुस्तकों का लेखन, संपादन और प्रकाशन किया है और उर्दू तथा फारसी में उनके लगभग दो सौ से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं। डॉ॰ मसूद को उत्तर आधुनिक उर्दू तथा कथा साहित्य के प्रवर्तकों में से एक माना जाता है। उन्हें उर्दू अकादमी के कई पुरस्कारों और प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ताऊस चमन की मैना उर्दू का लघु कथा संग्रह है, जिसमें परिवर्तन तथा अस्तित्व के ह्रास की तरफ बढ़ने के बारे में प्रभावशाली कल्पनाएँ की गई हैं। उन्हें २००७ में सरस्वती सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।[1]