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डेविड अर्नाल्ड

डेविड अर्नाल्ड एक इतिहासकार है और वर्ष २००६ के बाद से वारविक विश्वविद्यालय में एशियाई और विश्व के इतिहास के प्राध्यापक रहे है।[1] इसके पहले लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ में दक्षिण एशियाई इतिहास के प्राध्यापक थे। यहाँ अर्नाल्ड ने कई वर्षों तक महात्मा गांधी और गांधीवाद पर एक स्नातक पाठ्यक्रम पढ़ाया।[2] १९७० के दशक में सबाल्टर्न अध्ययन समूह के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वर्ष १९९३ में रंजीत गुहा ने उन्हे "ऍन अस्सोर्टमेंट ऑफ़ मार्जिनलाइस्ड अकॅडेमिक्स " कहकर याद किया।[3] वर्ष १९९४ में डेविड हार्डीमैन के साथ एक प्रकाशन के लिये कुल ७ लेखो का योगदान देते हुए आठवें विस्तार-क्षेत्र को सह संपादित किया।[4]

उपनिवेशी दवा के क्षेत्र में भी पूर्व योगदानकर्ताओं मे एक है। "कोलोनाइज़िग द बॉडी " इनकी एक प्रभावशाली रचना है।[5]

सन्दर्भ

  1. David Arnold. "David Arnold". University of Warwick. मूल से 3 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ७ अप्रैल २०१५.
  2. "SASNET Newsletter". Lunds University. मूल से 15 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ७ अप्रैल २०१५.
  3. Guha, Ranajit (1993). Subaltern Studies Reader, 1986-1995. University of Minnesota Press. पृ॰ xiv. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8166-2759-2.
  4. Philip McEldowney. "By Authors From the Books of the Subaltern Studies Series". University of Virginia. मूल से 7 जून 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ७ अप्रैल २०१५.
  5. Arnold, David (1993). Colonizing the Body: State Medicine and Epidemic Disease in Nineteenth-Century India. University of California Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-520-08295-3.