डफ़ी एंटीजन
डफ़ी एंटीजन वे एंटीजन होते है जो लाल रक्त कोशिका तथा शरीर की अन्य कोशिकाओं पर कीमोकाइन ग्राहक के रूप में काम करते हैं। इनकी अभिव्यक्ति एफ.वाई. जीन के द्वारा होती है। पी. विवैक्स मलेरिया रक्त कोशिका में प्रवेश करने हेतु डफी एंटीजन का प्रयोग करता है। किंतु यदि यह मौजूद ही न हो तो पी. विवैक्स से पूर्ण सुरक्षा मिल जाती है। यह जीनप्रकार यूरोप, एशिया या अमेरिका की आबादियों मे बहुत कम नजर आता है, किंतु पश्चिमी तथा केन्द्रीय अफ्रीका की समस्त मूल निवासी आबादी में नजर आता है।[1] माना जाता है कि इसका कारण है इस क्षेत्र में कई हजार वर्षो से पी. विवैक्स बहुत ज्यादा फैला रहा है।
सन्दर्भ
- ↑ Carter R, Mendis KN (2002). "Evolutionary and historical aspects of the burden of malaria". Clin. Microbiol. Rev. 15 (4): 564–94. PMID 12364370. डीओआइ:10.1128/CMR.15.4.564-594.2002. मूल से 16 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2008.