जोगिन्दर मोर
जोगेन्द्र मोर | |
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जन्म | जोगेन्द्र 4 अगस्त 1977 |
आवास | रोहतक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
नागरिकता | भारत |
शिक्षा | डॉक्टरेट |
शिक्षा की जगह | महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक |
पेशा | कवि, लेखक और कानून शिक्षक |
संगठन | छोटू राम लॉ कॉलेज। |
गृह-नगर | सोनीपत |
प्रसिद्धि का कारण | हरयाणवी रागिनी |
धर्म | हिंदू |
जीवनसाथी | सुनीता मोर |
बच्चे | अभिनव मोर (बेटा) |
माता-पिता | पिता श्री बीर सिंह, माता स्वर्गीय मूर्ति देवी |
जोगिन्दर मोर (जन्म: 4 अगस्त 1977) हरियाणवी कवि और लेखक हैं।[1] उनका जन्म हरियाणा के बरोदा गांव में हुआ है। वह छोटू राम लॉ कॉलेज, रोहतक में कानून के शिक्षक भी हैं। उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में आमंत्रित किया जाता है।[2] ‘टूटे हुए बर्तनों को तो जोड़ते हैं लोग...’ जोगेन्द्र मोर की प्रसिद्ध कविता है। [3] वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कवियों के बीच प्रशंसित हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिभा खोज कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक न्यायाधीश के रूप में आमंत्रित किया गया है।[4]
सम्मान एवं पुरस्कार
- हरियाणा गौरव सम्मान (हरियाणा कला परिषद द्वारा)
- क़लमवीर (क़लमवीर विचार मंच बाहदुरगढ़)
पुस्तकें
- Mor, Joginder (2012). "Tir Nishane Ke ( Haryanvi Kavita Sangrah)". amazon.in.
संदर्भ
- ↑ "हास्य कवियों ने किया लोट-पोट". मूल से 21 दिसंबर 2018 को पुरालेखित.
- ↑ "इस कार्यक्रम में हरियाणवी कवियों ने भी हास्य रस से". Dainik Bhaskar. 2017-11-02. अभिगमन तिथि 2020-06-07.
- ↑ "हास्य कवि सम्मेलन में सुनाई भ्रष्टाचार पर आरती". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 2020-06-07.
- ↑ "एकल नृत्य में प्रीति , कविता पाठ में नीरू नाटक में सोनिया ग्रुप प्रथम". Dainik Bhaskar. 2016-10-07. मूल से 9 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-06-07.