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जेट विमान

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अमेरीकी वायु सेना के लडाकू जेट विमान

जेट विमान जेट इंजन से चलने वाला एक प्रकार का वायुयान है। यह विमान प्रोपेलर (पंखे) चालित विमानों से ज्यादा तेज और ज्यादा ऊँचाई तक उड़ सकते हैं। अपनी इन्हीं क्षमताओं के कारण आधुनिक युग में इनका बहुत प्रचार प्रसार हुआ। सैन्य विमान मुख्यतः जेट चालित ही होते है क्योंकि ये तेज गति से उड़ कर एवं तीव्र कोण पर शत्रु पर आक्रमण करने की क्षमता रखते हैं। इनके इंजन की कार्यक्षमता प्रत्यागामी इंजन से बेहतर होती है इसीलिए जेट विमानों को लम्बी दूरी तक उड़ान भरने के लिए उपयुक्त माना गया है और आज इन्हें यात्री एवं माल को लम्बी दूरी तक ढोने के लिए सर्वोत्तम साधन माना जाता है।

जेट विमान के एक कक्ष में कुछ ईंधन रखा जाता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है।[1] इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। चूँकि जेट विमान में वायु बाहर से ली जाती है, इसलिए वायु शून्य स्थान में जेट विमान नहीं उड़ सकता।

विश्व का सर्वप्रथम जेट वायु यान बनाने का श्रेय रोमानिया के हेनरी कोंडा को जाता है। सन १९१० में बने इस वायु यान को कोंडा-१९१० के नाम से जाना जाता है। कोंडा-१९१० एक मिश्र जेट यान था जिसके अन्दर प्रत्यागामी इंजन लगा था जो जेट इंजन तक पहुँचने वाली वायु का सम्पीडन करता था। इस जटिल कार्यप्रणाली के कारण इस यान का आगे विकास नहीं हुआ और हेनरी कोंडा ने इसे कुछ प्रयोग करने के बाद इस तकनीक को त्याग दिया।[2] १९२९ में ब्रिटिश वायु सेना के अभियंता फ्रैंक व्हित्तल ने विश्व के पहले टर्बो जेट वायु यान की परिकल्पना की और अपने शोध को प्रकाशित किया परन्तु विश्व का पहला टर्बो जेट वायु यान जर्मनी की वायु सेना ने सन १९३९ में बनवाया। इस यान का नाम था हेंकेल हे १७८ लेकिन यह यान सिर्फ परीक्षण क्षेत्र तक ही सीमित रह गया और इसे कभी भी युद्घ क्षेत्र में उपयोग में नहीं लाया गया। द्वितीय विश्व युद्घ और उसके बाद के शीतयुद्ध के समय जेट वायु यान तकनीक का तेजी से विकास हुआ और विश्व की सभी प्रमुख वायु सेनाओं ने जेट यानों को अपना लिया। अमेरिका में बना यान एसआर-७१ ब्लैकबर्ड विश्व का सबसे तेज गति से उड़ने वाला लड़ाकू जेट वायु यान है। यह यान ध्वनि की गति से ३.४ गुना ज्यादा गति से उड़ सकता है।[3] व्यावसायिक विमानों में रूस में बना तुपोलेव तू-१४४ सबसे तेज विमान है जो ध्वनि की गति से २.३५ गुना अधिक गति से उड़ सकता है।[4]

चित्र दीर्घा

सन्दर्भ

  1. गुप्त, तारकनाथ (नवंबर २००४). भौतिकी एवं रसायन शास्त्र. कोलकाता: भारती पुस्तक मन्दिर,. पृ॰ 63. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)
  2. "जेट वायु यान (अंग्रेजी)". मूल से 5 नवंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2009.
  3. "तीव्रतम वायुयान की गति (अंग्रेजी)". मूल से 25 जुलाई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2009.
  4. "Tu-144, विश्व का प्रथम पराध्वनी व्यावसायिक वायुयान (अंग्रेजी)". मूल से 20 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2009.