जाबर महादेव
जाबर महादेव ( Jabar Mahadev )अथवा प्राचीन जाबर महादेव शिव मंदिर ( Prachin Jabar Mahadev Shiv Mandir ) भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के नैनीताल जनपद में भवाली नगर के समीप सेनिटोरियम में लड़ियाकाटा की पहाड़ी की तलहटी पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है । यह हिन्दू देवता भगवान शिव / महादेव को समर्पित मन्दिर है ।
यह एक प्राचीन मन्दिर है इसका प्रमाण उपलब्ध नहीं है, पर मन्दिर के नाम से प्रतीत होता है । स्थानीय लोगो के अनुसार ये मन्दिर 50 वर्ष पूर्ण कर चूका है
यहाँ पर पहुचने के लिए नैनीताल भवाली मोटर मार्ग पर स्थित सेनिटोरियम गेट से पहाड़ी पर लगभग दो किमी चलना पड़ता है । पार का हत्ता तक मोटर मार्ग है । वहाँ से बाई तरफ की पगडण्डी पर चलकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है ।
जो एक आलौकिक और आद्यात्मिक केंद्र भी है यहाँ श्री 1008 नानतिन बाबा महाराज जी ने आध्यत्मिक ज्ञान की प्राप्ति की थी और साथ ही ये भी मान्यता है कि जब प्रथम बार नीम करोली महाराज जी का आगमन हुआ था तब महाराज जी कुछ समय के लिए जाबर पर रुके थे |
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ लकड़ी का शिवलिंग प्राचीन समय से स्थापित है जो अब भी अपनी पूर्व की स्थिति में है और पुरे नैनीताल जिले का एक मात्र शिव मंदिर है जहाँ 18 फ़ीट लम्बा त्रिशूल स्थापित है।
सबसे बड़ी बात है कि यहाँ देवदार के पेड़ 40 मीटर से अधिक लंबे है । पुराने सा धर्मशाला व पुरानी सीढीयो को देखकर ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति या महात्मा यहा पर रह चुके है । प्रकृति की मनोहारी छटा बुरूष के फूलो से लदे हुए पेड़ मन मोह लेते है।
विगत कुछ वर्षो से हर महाशिवरात्रि पर इस प्राचीन शिव मंदिर से महादेव की शोभा यात्रा भी निकली जा रही है जिसका आयोजन "जाबर महादेव मन्दिर कमेटी" करती है
कमेटी का गठन स्थानीय लोगो ने मिल कर किया है, मन्दिर कमेटी की कार्यकारणी इस प्रकार है
अध्यक्ष - श्री हितेश साह
उपाध्यक्ष - श्री हरीश जोशी, श्री जगदीश चन्द्र पांडेय और श्री विनोद कन्नोजिया
महासचिव - श्री दिनेश जोशी
सचिव - श्री अभिषेक मेहता, श्री कमलेश सिंह बिष्ट, श्री त्रिवेंद्र साह, श्री कन्नू बोनाल और श्री बृजमोहन जोशी
उपसचिव - श्री पंकज बिष्ट, श्री नीरज भट्ट, श्री योगेश सुयाल, श्री पवन भाकुनी, श्री प्रदीप प्रसाद, श्री नितिन पनौरा और श्री मोहित कुमार
कोषाध्यक्ष - श्री भास्कर पांडेय
मंदिर के चारों ओर जंगल जैव विविधता में समृद्ध है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए अद्वितीय है। मंदिर वास्तुकला में सरल और समकालीन है। यदि आपके पास पर्यावरण और प्रकृति के लिए संबंध नहीं है, तो कृपया यात्रा न करें। यदि यात्रा कर रहे हैं, तो कृपया पर्यावरण संरक्षण के लिए समझ लें।