चौतीसा
चौतीसा (ओडिया]] में 'चउतीशा') , भारतीय साहित्य की एक विधा है जो मध्यकाल में प्रचलित हुई। ओड़िया साहित्य में सैकड़ों 'चौतीसा' रचे गए हैं जिनमें बत्सा दास की 'कळसा चउतिशा', मार्कण्ड दास की 'केशब कोइलि', बलराम दास का कमललोचन चौतीसा, और दामोदर दास की 'हनुमन्त जनन चौतीसा' उल्लेखनीय हैं।
चौतीसा प्रायक्क क वर्ण से आरम्भ होता है और क्ष से समाप्त। एक उदहरण देखिए
- कमळ लोचन श्रीहरि । करेण शङ्ख चक्रधारी ॥
- खग आसने खगपति । खटन्ति लक्ष्मी सरस्वती ॥
- गरुड़ आसने मुरारि । गोपरे रखिले बाछुरी ॥
- बलराम दास कृत कमललोचन चौतीसा