चित्तरंजन शेट्टी
बोला चित्तरंजनदास शेट्टी | |
---|---|
जन्म | बोला चित्तरंजनदास शेट्टी |
मौत | 7 अगस्त, 2016 (74 वर्ष) मैंगलुरु |
भाषा | कन्नड और तुळु |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
खिताब | तुळु गौरव पुरस्कार (2012) श्री कृष्ण वाडिराजनरुगृह पुरस्कार-उडुपी पर्याय सोडे मठ (2012) राज्योत्सव साहित्य पुरस्कार (2013) |
बच्चे | दो पुत्र |
चित्तरंजन शेट्टी कन्नड और तुळु भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्हे कई राज्य-स्तर के सम्मानों से पुरस्कृत किया गया था।
कृतियाँ
तुळु
शेट्टी का सबसे प्रसिद्ध नाटक 'पोन्नू मन्न-द बॉम्बे' था जिसे उन्होंने 1973 में तुळु में लिखा था। उन्हें इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने कम्बला पर पहला विस्तृत निबंध 1983 लिखा जो तटीय जिलों में प्रचलित भैंसों से जुड़े खेल पर आधारित है और जिसका हवाला वर्तमान युग में भी दिया जाता है। 2006 में 'नीर' नाम से एक नाटक लिखा। 'बिन्नेदी' के नाम से उन्होंने लोक-गीतों पर एक पुस्तक उन्होंने उसी साल लिखी थी।[1]
कन्नड
1990 में शेट्टी ने कन्नड उपन्यास अलिधुलिधावरु लिखा जो लोकप्रिय हुआ। उनका उपन्यास टेह भूमि की उत्तराधिकार पर आधारित थी। उन्होंने 2005 में 'कुड़ी' नामक कन्नड उपन्यास लिखी।[1]
कविता संग्रह
शेट्टी ने कन्नड और तुळु - दोनों भाषाओं में अपनी कविताएँ लिखी।[1]
पुरस्कार
चित्तरंजन शेट्टी को अपने जीवनकाल में निम्न लिखित पुरस्कार प्राप्त हुए:
- तुळु गौरव पुरस्कार (2012)
- श्री कृष्ण वाडिराजनरुगृह पुरस्कार-उडुपी पर्याय सोडे मठ (2012)
- राज्योत्सव साहित्य पुरस्कार (2013)[1]
निधन
शेट्टी का निधन 7 अगस्त 2016 को हुआ। मृत्यु के समय उनकी पत्नी और दो पुत्र जीवित थे।[1]