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चन्द्रशेखर कम्बार

चन्द्रशेखर कम्बार
ಚಂದ್ರಶೇಖರ ಕಂಬಾರ
चन्द्रशेखर कम्बार "आधुनिक तकनीकी दुनिया में कन्नड़" के विषय में बंगलौर में बात करते हुए
जन्म2 जनवरी 1937 (1937-01-02) (आयु 87)
घोड़ागेरी, बेल्गौम ज़िला, कर्णाटक
पेशाकवि, नाटककार, प्रोफेसर
राष्ट्रीयताभारत
उच्च शिक्षाकर्णाटक विश्व विद्यालय, धारवाड़ से पी०एच०डी[1]
काल1956 – वर्तमान
विधाकथा-साहित्य
खिताबज्ञानपीठ
साहित्य अकादमी पुरस्कार
पद्म श्री
पम्पा पुरस्कार
जीवनसाथीसत्यभामा
बच्चेराजशेखर कम्बार, जयश्री कम्बार, गीता सतीश, चन्नम्मा कम्बार,

चंद्रशेखर कंबार (कन्नड़: ಚಂದ್ರಶೇಖರ ಕಂಬಾರ; जन्म : २ जनवरी १९३७) एक कन्नड़ भाषा के कवि, नाटककार एवं लोकसाहित्यकार हैं। उन्होंने कन्नड़ भाषा में फिल्मों का निर्देशन भी किया है और वे हम्पी में कन्नड़ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति भी रहे हैं।[2] उनके उल्लेखनीय साहित्यिक योगदान के आलोक में उन्हें 2010 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है।[3]

इनके द्वारा रचित एक नाटक सिरिसंपिगे के लिये उन्हें सन् १९९१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कन्नड़) से सम्मानित किया गया।[4]

सन्दर्भ

  1. "Jnanpith award: डेक्कन हेराल्ड – Kambar realised the universal in indigenous, native culture in modern times". डेक्कन हेराल्ड. मई २९, २०१३. मूल से 22 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 मई 2013.
  2. "Giri Seeme: The Tribal Village". Department of Tribal Studies, Kannada University. Kannada University, Hampi. मूल से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि मई २९, २०१३.
  3. "Senior Kannada Writer Dr Chandrashekhara Kambara gets Jnanpith Award, 8th for Kannada Language". Vishwa Samvada Kendra, Karnataka. मूल से 14 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि मई २९, २०१३.
  4. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.