गोविंदराज द्वितीय
गोविंदराज द्वितीय | |
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चाहमान राजा | |
शासनावधि | सी॰ 863-890 सीई |
पूर्ववर्ती | चंद्रराज द्वितीय |
उत्तरवर्ती | चंदनराज |
जीवनसंगी | रुद्रानी |
संतान | चंदनराज, वाकपतिराज प्रथम |
राजवंश | शाकंभरी के चौहान |
पिता | चंद्रराज द्वितीय |
गोविंदाराज द्वितीय (शासन सी॰ 863-890 सीई), जिन्हें "गुवाका द्वितीय" के नाम से भी जाना जाता है, शाकम्भरी चम्हाण वंश से संबंधित एक भारतीय राजा थे। उन्होंने उत्तर-पश्चिमी भारत में वर्तमान राजस्थान के कुछ हिस्सों पर गुर्जर-प्रतिहार सम्राट के जागीरदार के रूप में शासन किया।
गोविंदाराज द्वितीय अपने पिता चंद्रराज द्वितीय के बाद चाहमान सिंहासन पर बैठे।[1] हर्ष पत्थर के शिलालेख में गोविंद द्वितीय को उनके दादा गोविंदराज प्रथम के रूप में महान योद्धा के रूप में वर्णित किया गया है।[2]
पृथ्वीराजविजयमहाकाव्यम् के अनुसार 12 राजा गोविंदराज की बहन कलावती से शादी करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने उन्हें हरा दिया और अपनी बहन को कान्यकुब्ज के सम्राट से शादी कर दी। कन्नौज के इस शासक की पहचान प्रतिहार सम्राट भोज प्रथम के साथ की जाती है।[3] भोज के वंशज महेंद्रपाल द्वितीय के शासनकाल के प्रतापगढ़ शिलालेख में कहा गया है कि चाह्मण भोज के लिए "आनंद का महान स्रोत" थे।[2] यह वैवाहिक गठबंधन का संदर्भ हो सकता है।[3]
गोविंदराज द्वितीय के बाद उनका बेटा चंदनराज सिंहासन पर बैठे थे।[1]
ग्रन्थसूची
- Dasharatha Sharma (1959). Early Chauhān Dynasties. S. Chand / Motilal Banarsidass. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780842606189.
- R. B. Singh (1964). History of the Chāhamānas. N. Kishore. OCLC 11038728.
सन्दर्भ
- ↑ अ आ R. B. Singh 1964, पृ॰ 56.
- ↑ अ आ Dasharatha Sharma 1959, पृ॰ 26.
- ↑ अ आ R. B. Singh 1964, पृ॰ 96.