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गुजरी महल (हिसार)

हिसार का गुजरी महल प्रेम की उस निशानी को दर्शाता है, जिसमें प्रेम के वशीभूत होकर दिल्ली के बादशाह फिरोजशाह तुगलक ने अपने दरबार को दिल्ली से हिसार में लाने को मजबूर कर दिया था. फिरोजशाह तुगलक ने गुजरी के प्रेम में सन 1354 में गुजरी महल का निर्माण करवाया था.

हिसार:हरियाणा के हिसार में स्थित गुजरी महल आज भी बादशाह सुल्तान फिरोज शाह तुगलक और उनकी प्रेमिका गुजरी की अमर प्रेम कथा को गुनगुनाता है. गुजरी महल की इमारत भले ही आगरा के ताजमहल जैसी भव्य न हो, लेकिन दोनों के निर्माण का आधार प्रेम ही था. सन 1354 में फिरोज शाह तुगलक ने अपनी प्रेमिका गुजरी के प्रेम में हिसार का गुजरी महल (Gujari Mahal of Hisar) बनवाया था. 675 साल पहले 1354 में फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाया गया गुजरी महल राजा फिरोजशाह का एक गुजरी के साथ प्रेम का गवाह है.गौतलब है कि भारतीय इतिहास ऐसी ढेरों कहानियों से भरा पड़ा है, जिनके बारे में आज तक लोगों को पूरे तरीके से जानकारी नहीं है. आज के समय जब हम प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाह करने के बारे सोचते है. वहीं इतिहास के पन्नों में कई ऐसे राज दफन है, जिनके बारे में पढ़ने से पता चलता है कि प्रेम उस समय भी सर्वोपरि माना जाता है. इन्हीं में से एक है हिसार का गुजरी महल, जिसे दिल्ली के बादशाह फिरोजशाह तुगलक ने दूध बेचनेवाली गुजरी के लिए बनवाया था.

प्रेम कहानी का गवाह है हिसार का गुजरी महल, प्रेमिका के लिए दिल्ली बादशाह ने करवाया था निर्माण दो साल में बनकर तैयार हुआ था महल बनने का कारण ये था कि एक

दिन सम्राट फिरोजशाह तुगलक (Firoz Shah Tughlaq) शिकार पर निकले थे. इस दौरान उनको घने जंगल में पानी की प्यास लगी थी, लेकिन यहां पर पानी की बहुत ज्यादा कमी थी. क्योंकि यहां की जमीन रेतली और उबड-खाबड़ थी. सम्राट फिरोजशाह तुगलक को इतनी ज्यादा प्यास लगी थी, कि वह घोड़े से नीचे गिरकर बेहोश हो गए. इस दौरान वहां से एक गुज्जरी लड़की जा रही थी. जो दूध का काम करती थी. जब गुजरी ने बादशाह फिरोजशाह तुकलक को बेहोश पड़ा हुआ देखा, तो उसने सम्राट फिरोजशाह तुगलक को दूध पिलाया. जिससे सम्राट फिरोजशाह तुगलक को होश आ गया सम्राट गुज्जरी की सुंदरता से प्रभावित हो गए इसके

बाद सम्राट फिरोजशाह तुगलक का वहां आना-जाना हो गया था. सम्राट फिरोजशाह तुगलक जब भी शिकार पर जाते थे उन गुज्जरों की बस्ती में जरुर जाते थे और सम्राट फिरोजशाह तुगलक और गुजरी की अच्छी दोस्ती हो गई थी. उसके बाद जब फिरोजशाह तुगलक गद्दी पर बैठे, तो उन्होंने गांव जाकर गुजरी से शादी का प्रस्ताव रखा और फिरोज शाह ने जब इनसे कहा कि वह उसके साथ दिल्ली के सिंहासन चले तो गुजरी ने मना कर दिया. गुजरी ने शादी के लिए हां कर दी लेकिन दिल्ली जाने से मना कर दिया तो सम्राट ने अपना दरबार दिल्ली से हिसार में कर दिया और गुजरी के रहने के लिए यह विशेष महल बनवाया था.


गुजरी महल की भव्यता

महज़ दो साल में बनकर तैयार हो गया। गुजरी महल में काला पत्थर इस्तेमाल किया गया है। महल की स्थापना के लिए फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने क़िला बनवाया। दीवान-ए-आम के पूर्वी हिस्से में स्थित कोठी फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ का महल बताई जाती है। इस इमारत का निचला हिस्सा अब भी महल-सा दिखता है। फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के महल की बगल में लाट की मस्जिद है। अस्सी फ़ीट लंबे और 29 फ़ीट चौड़े इस दीवान-ए-आम में सुल्तान कचहरी लगाता था। महल के खंडहर इस बात की निशानदेही करते हैं कि कभी यह विशाल और भव्य इमारत रही होगी।

फ़िरोज़ शाह तुगलक का परिचय

फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ दिल्ली सल्तनत में तुग़लक़ वंश का शासक था। फ़िरोजशाह तुग़लक़ का जन्म १३०९ को हुआ।उसका शासन १३५१ से १३८८ तक रहा। उसने अपने शासनकाल में ही चांदी के सिक्के चलाये। वह मुहम्मद तुग़लक़ का चचेरा भाई एवं सिपहसलार 'रजब' का पुत्र था।[1] मुहम्मद तुग़लक़ की मुत्यु के बाद 23 मार्च 1351 को फ़िरोज़ तुग़लक़ का राज्याभिषक थट्टा के निकट हुआ। पुनः फ़िरोज़ का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ। सुल्तान बनने के बाद फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने सभी क़र्ज़े माफ कर दिए, जिसमें 'सोंधर ऋण' भी शामिल था, जो मुहम्मद तुग़लक़ के समय किसानों को दिया गया था। फ़िरोज शाह कट्टर सुन्नी धर्मान्ध मुस्लिम था।

सन्दर्भ

  1. Sarkar, Jadunath (August 20, 2018). A History of Jaipur: C. 1503-1938. Orient BlackSwan (August 20, 2018). पृ॰ 464. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788125003335.