गुंजा
गुंजा या रत्ती (Coral Bead) लता जाति की एक वनस्पति है। शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त हो जाते हैं। इसकी जड़े भ्रमवश मुलहठी के स्थान में भी प्रयुक्त होती है।
गुंजा गुंजा दो प्रकार की होती है।तीन प्रकार की होती है।सफेद,लाल,काली
इसका उपयोग पशुओं के घावों के कीड़े मारने के लिए खुराक के रूप में किया जाता है। एक खुराक में अधिकतम 2 बीज और अधिकतम 2 खुराक दी जाती है
- विभिन्न भाषाओं में नाम
अंग्रेजी - Coral Bead हिन्दी - गुंजा, चौंटली, घुंघुची, रत्ती संस्कृत - सफेद केउच्चटा, कृष्णला, रक्तकाकचिंची बंगाली - श्वेत कुच, लाल कुच मराठी - गुंज गुजराती - धोलीचणोरी, राती, चणोरी तेलगू - गुलुविदे फारसी - चश्मेखरुस राजस्थानी - चिरमी
हानिकारक प्रभाव
पाश्चात्य मतानुसार गुंजा के फलों के सेवन से कोई हानि नहीं होती है। परन्तु क्षत पर लगाने से विधिवत कार्य करती है। सुश्रुत के मत से इसकी मूल गणना है।
गुंजा को आंख में डालने से आंखों में जलन और पलकों में सूजन हो जाती है।
गुण
दोनों गुंजा, वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला), बलवर्द्धक (ताकत बढ़ाने वाला), ज्वर, वात, पित्त, मुख शोष, श्वास, तृषा, आंखों के रोग, खुजली, पेट के कीड़े, कुष्ट (कोढ़) रोग को नष्ट करने वाली तथा बालों के लिए लाभकारी होती है। ये अन्यंत मधूर, पुष्टिकारक, भारी, कड़वी, वातनाशक बलदायक तथा रुधिर विकारनाशक होता है। इसके बीज वातनाशक और अति बाजीकरण होते हैं। गुन्जा से वासिकर्न भि कर सक्ते ही ग्न्जा
चित्रदीर्घा
- Abrus precatorius from Koehler's Medicinal-Plants
- Bright red seeds of A. precatorius are strung as jewelry
- Abrus precatorius leaves & flowers
- Abrus precatorius flowers