गीदो गैज़ेल
| Guido Gezelle | |
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बेल्जियम के कवि गीदो गैजेल | |
| जन्म | 1 मई 1830 Bruges, Belgium |
| मौत | 27 नवम्बर 1899 (उम्र 69) Bruges, Belgium |
| राष्ट्रीयता | |
| पेशा | poet, priest, writer |
गीदो गैज़ेल (Guido Pieter Theodorus Josephus Gezelle ; १८३०-१८९९) बेल्जियम के कवि, प्रभावी लेखक तथा रोमन कैथलिक पादरी थे। वे पश्चिमी फ्लेमी बोली का प्रयोग करने के लिये जाने जाते हैं।
परिचय
गीदो गैज़ेल के पिता माली का काम करते थे। एक सेमिनरी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन् १८५४ में ये चर्च में पादरी हो गए। साथ ही साथ इन्होंने अध्यापन कार्य भी प्रारंभ कर दिया और अध्यापक के रूप में इन्होंने अच्छे शिष्यों पर गहरा नैतिक प्रभाव डाला। इनके शिष्यों में ह्यूगो भी थे। बाद में ये ब्रूजेज़ के नामक स्थान पर ऐंग्लो-बेल्जियम स्कूल में हेडमास्टर हो गए, लेकिन इस रूप में ये असफल सिद्ध हुए और फिर अपने ही साप्ताहिक पत्र में लिबरल सिद्धांतों के विरुद्ध प्रचार करना शुरू किया।
इनकी कविताओं में इनके प्रकृतिप्रेम का स्पष्ट आभास मिलता है। साथ ही साथ ईश्वर के प्रति प्रगाढ़ भक्ति और निष्ठा का भी पुट मिलता है। प्रायः सभी रचनाएँ भावप्रधान हैं। प्रकृति संबंधी कविताओं की एक और विशेषता यह है कि शब्दों के द्वारा ये वर्णित वस्तुओं का सजीव चित्र उपस्थित कर देते हैं। शैली और छंदप्रयोग की दृष्टि से भी इनमें यह विशेषता है। साधारण बोलचाल की भाषा को ही परिष्कृत रूप में इन्होंने कविता के लिए स्वीकार किया और लय तथा स्वर के कुशल प्रयोग के द्वारा कविता में संगीत का तत्व ला दिया।