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गांधार का बौद्ध धर्म

बामियान के बुद्ध, उत्तर गांधार की बौद्ध स्मारकीय मूर्तिकला का एक उदाहरण है।
गान्धार क्षेत्र का स्थलाकृतिक मानचित्र जिसमें गांधार और बैक्ट्रिया के प्रमुख स्थल दर्शाए गए हैं
धर्मराजिक स्तूप और उसके आसपास के मठों के खण्डहर
कुषाण क्षेत्र (पूर्ण रेखा) तथा कनिष्क महान के साम्राज्य की अधिकतम सीमा (बिंदुदार रेखा), जिसने गांधार बौद्ध विस्तार की ऊंचाई देखी।
पाकिस्तान के मर्दान के 'तख्त-ए-बही' नामक एक प्रमुख बौद्ध मठ, का अनुमानित जीर्णोद्धार का चित्र

गान्धार के बौद्ध धर्म से आशय प्राचीन गांधार की बौद्ध संस्कृति से है जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लगभग 1200 ईसवी तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था। [1] [2] प्राचीन गांधार वह क्षेत्र है जो वर्तमान में उत्तरी पाकिस्तान है ( मुख्यतः पेशावर घाटी और पोठोहार पठार तथा अफगानिस्तान का जलालाबाद )। इस क्षेत्र में बौद्ध ग्रन्थ मिले हैं जो गांधारी प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं। ये अब तक प्राप्त बौद्ध ग्रन्थों की सबसे पुरानी पाण्डुलिपियाँ (पहली शताब्दी ई.) हैं। [3] गान्धार बौद्ध कला और स्थापत्य संस्कृति का एक अद्वितीय केन्द्र भी था जिसमें भारतीय, हेलेनिस्टिक, रोमन और पार्थियन कला के तत्व मिश्रित थे। [4] मध्य एशिया और चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार की दृष्टि से यह क्षेत्र एक 'प्रवेशद्वार' के रूप में भी महत्वपूर्ण रहा। [3] [5]

सन्दर्भ

  1. Salomon, Richard, The Buddhist Literature of Ancient Gandhāra, An introduction with Selected Translations. p. xvii
  2. Kurt Behrendt, Pia Brancaccio, Gandharan Buddhism: Archaeology, Art, and Texts, 2006 p. 11
  3. "UW Press: Ancient Buddhist Scrolls from Gandhara". अभिगमन तिथि 2008-09-04.
  4. Kurt Behrendt, Pia Brancaccio, Gandharan Buddhism: Archaeology, Art, and Texts, 2006 p. 10
  5. Lancaster, Lewis R. "The Korean Buddhist Canon: A Descriptive Catalogue". www.acmuller.net. Retrieved 4 September 2017.

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