खेड़ा
खेड़ा Kheda ખેડા | |
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खेड़ा गुजरात में स्थिति | |
निर्देशांक: 22°45′00″N 72°40′59″E / 22.750°N 72.683°Eनिर्देशांक: 22°45′00″N 72°40′59″E / 22.750°N 72.683°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | गुजरात |
ज़िला | खेड़ा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 25,575 |
भाषा | |
• प्रचलित | गुजराती |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
खेड़ा (Kheda) भारत के गुजरात राज्य के खेड़ा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह वात्रक नदी के किनारे बसा हुआ है।[1][2][3]
विवरण
सुनहरी पत्तियों की भूमि कहा जाने वाला गुजरात का खेडा 7194 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह गुजरात का सबसे बड़ा तम्बाकू उत्पादक है। इस प्राचीन बस्ती की स्थापना पांचवीं शताब्दी में हुई थी। अंग्रेजों ने यहां 1803 में मिल्रिटी गैरीसन विकसित किया। खेडा के जैन मंदिर खूबसूरत नक्काशी और कारीगरी के लिए प्रसिद्ध हैं। साथ ही 1822 में बना एक चर्च और 19वीं शताब्दी का टॉउन हॉल भी यहां देखा जा सकता है। खंभात यहां का जाना माना ऐतिहासिक स्थल है जो मिठाइयों और पत्थर की खूबसूरत कारीगरी के लिए विख्यात है। डाकोर यहां का प्रमुख तीर्थस्थल है।
प्रमुख आकर्षण
नडियाद
खेड़ा ज़िले में नडियाद का सबसे बड़ा नगर संतराम मंदिर और श्री माई मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर अपनी शानदार नक्कासियों के लिए चर्चित हैं। यह नगर सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मस्थल भी है। गुजराती उपन्यास सरस्वतीचन्द्र लिखने वाले लेखक गोवर्धनराम त्रिपाठी भी इसी नगर से संबंधित हैं। नगर में अनेक अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को भी देखा जा सकता है।
श्री मातर तीर्थ
यह जैन तीर्थस्थल खेडा के मेन रोड पर स्थित है। भगवान सुमतिनाथ को समर्पित यहां के मंदिर का प्रवेश द्वार बेहद आकर्षक है। यात्रियों को ठहरने के लिए यहां उचित व्यवस्था है। यहां से 5 किलोमीटर की दूरी पर ही श्री खेडा तीर्थ भी देखा जा सकता है।
बालासीनोर जीवाश्म पार्क
अहमदाबाद से 86 किलोमीटर दूर रायोली में स्थित यह पार्क विश्व के तीन सबसे बड़े डायनासोर जीवाश्म पार्को में एक है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग 65 मिलियन साल पहले यहां बड़ी संख्या में डायनासोर पाए जाते थे। डायनासोरों के बहुत से अंडे और जीवाश्म यहां मिले हैं।
टिंबा तुवा और लसुंदरा
टिंबा तुवा और लसुंदरा खेडा के गर्म पानी के झरने हैं जिन्हें औषधीय और चमत्कारिक गुणों से भरपूर माना जाता है। माना जाता है कि इसमें स्नान करने से आर्थराइटिस रोग दूर हो जाता है। टिंबा तुवा के निकट एक मंदिर बना हुआ है जिसे भीम से संबंधित माना जाता है।
गलटेश्वर मंदिर
गलटेश्वर मंदिर 12वीं शताब्दी के आसपास सोलंकी शैली में बनवाए गए मंदिरों में एक है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में 8 ऑफसेट वाला गर्भगृह और भूमिजा शैली में डिजाइन किया गया शिखर बेहद आकर्षक हैं। देश के अनेक हिस्सों से लोगों का यहां नियमित आना-जाना लगा रहता है।
श्री स्वामीनारायण मंदिर
बोचासन स्थित इस मंदिर को 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने समर्पित किया था। मंदिर में हरीकृष्ण महाराज, नारायण, देवी लक्ष्मी, अक्षर, पुरूषोत्तम आदि की मूर्तियां स्थापित हैं। गुरू पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर परिसर के निकट भगवान हनुमान का एक छोटा मंदिर भी देखा जा सकता है।
डाकोर
शेधी नदी के तट पर बसा यह तीर्थस्थल रणछोडजी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण 1772 में हुआ था। हर माह पूर्णिमा के अवसर पर हजारों भक्त इस मंदिर में दर्शन हेतु आते हैं। डाकोर नाडियाड और गोधरा से राज्य राजमार्ग द्वारा जुड़ा है। डाकोर को प्रारंभ में डंकापुर के नाम से जाना जाता था।
आवागमन
- वायु मार्ग
अहमदाबाद का सरदार बल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहां का करीबी एयरपोर्ट है जो देश-विदेश के अनेक शहरों से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग
डाकोर रेलवे स्टेशन खेडा का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन जिले को देश और राज्य के अनेक हिस्सों से जोड़ता है।
- सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमर्ग 64 यहाँ से गुज़रता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Gujarat, Part 3," People of India: State series, Rajendra Behari Lal, Anthropological Survey of India, Popular Prakashan, 2003, ISBN 9788179911068
- ↑ "Dynamics of Development in Gujarat," Indira Hirway, S. P. Kashyap, Amita Shah, Centre for Development Alternatives, Concept Publishing Company, 2002, ISBN 9788170229681
- ↑ "India Guide Gujarat," Anjali H. Desai, Vivek Khadpekar, India Guide Publications, 2007, ISBN 9780978951702