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क्वांटम कम्युनिकेशन सेटेलाईट

चीन पहला हैक प्रूफ क्वांटम कम्युनिकेशन सेटेलाईट प्रक्षेपित करेगा।

परिचय

क्वांटम कम्युनिकेशन सेटेलाईट मई 2016 में चर्चा में था क्योंकि चीनी विज्ञान एकेडमी (सीएएस) के अनुसार चीन जुलाई 2016 में अपना प्रायोगिक क्वांटम कम्युनिकेशन सेटेलाईट प्रक्षेपित करेगा।

इससे चीन पहला देश होगा जिसके सेटेलाईट अन्तरिक्ष से एनकोडेड सूचना भेजेंगे जिसे हैक नहीं किया जा सकता।

इस परियोजना से संचार व्यवस्था में क्रन्तिकारी परिवर्तन आ सकते हैं। इस परियोजना में सेटेलाईट प्रक्षेपण एवं चार बिल्डिंगों का निर्माण शामिल है। इसके अतिरिक्त एक अन्तरिक्ष क्वांटम टेलिपोर्टेशन का भी विकास किया जायेगा।

सेटेलाईट परियोजना के मुख्य बिंदु

  • चीन वर्ष 2030 तक इस सेटेलाईट को छोड़ने की योजना बना रहा है।
  • यह अपना स्वयं का क्वांटम सूचना शेयरिंग नेटवर्क बना रहा है ताकि राष्ट्रीय डिफेंस एंड सिक्यूरिटी में भी इसका प्रयोग किया जा सके।
  • इससे पृथ्वी पर मौजूद दो क्वांटम ऑप्टिकल लिंक्स के बीच संपर्क स्थापित किया जा सकता है।
  • चीनी वैज्ञानिकों को क्वांटम सेटेलाईट विकसित करने में पांच वर्ष का समय लगा।
  • इसे चीन के जिउक्वान सेटलाईट लॉन्च सेंटर से छोड़ा जायेगा।

पृष्ठभूमि

क्वांटम सेटेलाईट अन्तरिक्ष विज्ञान के लिए सामरिक प्राथमिकता कार्यक्रम के तहत प्रक्षेपित किया जायेगा। इस पर रिसर्च की शुरुआत चीन में 2011 में की गयी। चीन पहले ही वर्ष 2015 में डार्क मैटर सेटेलाईट प्रक्षेपित कर चुका है। इसके बाद अप्रैल 2016 में माइक्रो ग्रेविटी सेटेलाईट एसजे-10 प्रक्षेपित किया गया। वर्ष 2016 के मध्य में अन्तरिक्ष में न्यूट्रोन तारों एवं ब्लैक होल्स के शोध के लिए सेटेलाईट छोड़ा जायेगा।

क्वांटम कम्युनिकेशन

  • यह अल्ट्रा-हाई सिक्यूरिटी पर आधारित है, इसका डुप्लीकेट अथवा इसमें दी गयी सूचनाओं को पृथक नहीं किया जा सकता।
  • यदि कोई सूचना डिकोड करने की कोशिश करता है तो यह इन्क्रीप्शन बदल देगा जिससे सूचना पाने वाले को प्रणाली से की गयी छेड़छाड़ का पता लग जायेगा।
  • अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड वाइनलैंड एवं फ्रांस के सर्ज हरोच को क्वांटम पार्टिकल्स की खोज हेतु वर्ष 2012 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सन्दर्भ