क्याप
| क्याप | |
|---|---|
| [[चित्र:|]] क्याप | |
| लेखक | मनोहर श्याम जोशी |
| देश | भारत |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | साहित्य |
क्याप हिन्दी के विख्यात साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
क्याप प्रख्यात हिन्दी लेखक मनोहरश्याम जोशी द्वारा लिखा गया एक उपन्यास है। क्याप कुमाउँनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है- कुछ अजीब-सा, जो समझा न गया हो या अनबूझा सा; उल्लेखनीय है कि मनोहर श्याम जोशी मूल रूप से कुमायूँ से थे। यह उपन्यास २००६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुआ।
उपन्यास के अन्त में कथा-प्रवाह की विचित्रता देखी जाती है। और शायद इसी कारण स्वयं जोशी इस उपन्यास की अन्तिम पंक्ति के रूप में लिखते हैं-
| “ | आप कहेंगे कि यह कथा तो क्याप-जैसी हुई ! धैर्य-धन्य पाठकों, यही तो रोना है। | ” |
सन्दर्भ
- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.