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कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज

कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज
स्थिति
विश्वविद्यालय मार्ग लखनऊ
लखनऊ - २२६०१०, उत्तर प्रदेश, भारत
निर्देशांक26°54′18″N 80°58′57″E / 26.904926°N 80.982628°E / 26.904926; 80.982628निर्देशांक: 26°54′18″N 80°58′57″E / 26.904926°N 80.982628°E / 26.904926; 80.982628
जानकारी
ध्येय वाक्य "तमसो मा ज्योतिर्गमय" - "मुझे अंधकार से प्रकाश को ले चलो"
स्थापना १८९१
संस्थापक सर आक्लैन्ड काल्विन
अध्यक्ष महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश
आयुक्त लखनऊ
कर्मचारी २००+
Gender सह-शिक्षा
आयु १३++
विद्यार्थी २५०० (लगभग.)
माध्यम अंग्रेज़ी, हिन्दी
कक्षाएँ ७५+
परिसराकार 8० एकड़
नारा ...where learning becomes passion
सम्बन्धता कॉन्सिल ऑफ इण्डियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्ज़ामिनेशन्स, नई दिल्ली,
जालस्थल

कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज लखनऊ में स्थित एक कालेज हैं। गोमती नदी के तट पर तकरीबन 80 एकड़ भूमि के विस्तार में फैले इस कालेज कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज की स्थापना 11 मार्च 1891 को अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन ने इसके मुख्य भवन की नींव रखी परन्तु वास्तव में यह विद्यालय वर्ष 1892 में प्रारंभ हो सका जब इसमें तत्कालीन रजवाडों और तालुकदार के पाल्यो ने दाखिला लिया। इसमें प्रवेश की एकमात्र तथा अंतिम शर्त राजघराने का पुत्र या पाल्य होना ही थी। यह संस्था विशुद्ध रूप से रजवाडों के पाल्यों को अंग्रजी माध्यम से शिक्षा दिलाने के लिये स्थापित की गयी थी अतः इसमें छात्रों की संख्या 50 से ऊपर न होती थी। जिस वर्ष इस की छात्र संख्या ने 100 का आंकड़ा छुआ उस दिन प्रसन्नतावश विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित किया गया।

इतिहास

1891 में अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आकलेन्ड काल्विन कलेज के संथापक।""[1]

व्यवस्था

इस कालेज में शिक्षा पाने के लिये राजघराने का पाल्य होने की शर्त को 1933 में हटा लिया गया था। 1965 में इस विद्यालय को भारत सरकार द्वारा देश के प्रमुख विद्यालयों के रूप में चिन्हित करते हुये मेधावी छात्रों को शिक्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया। इस कालेज में प्राचार्य तथा उपप्राचार्य अंग्रेज ही हुआ करते थे। विद्यालय आज भी बी0 आई 0 ए0 (ब्रिटिश इन्डिया एसोसिएशन) नामक संस्था के सहयोग से चलता है।

उपलब्धियां

विद्यालय उज्जैन, तक्षशिला, नालन्दा, सांची और अजन्ता नामक पांच प्रमुख हाउस में बंटा हुआ है। यह्लखनऊ का एक ऐसा विद्यालय है जिसमे भारत की अनेक प्रमुख हस्तियो जैसे अरुण नेहरू, जावेद अख्तर, बाबा सहगल आदि ने शिक्षा प्राप्त की है। इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है।

अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर ने लिखा है - ""मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है।.. मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा... ""[2]

पुराछात्र

जावेद जाँनिसार अख्तर
राजनीतिज्ञ
प्रशासनिक अधिकारी

सन्दर्भ

  1. "काल्विन कलेज". मूल से 29 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2018.
  2. "आत्मकथा तरकश". मूल से 16 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 सितंबर 2012.