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कुलेखानी जलाशय

कुलेखानी जलाशय
जलाशय, इंद्रा सरोबरि
कुलेखानी बांध इसे "इंद्र सरोबार", मखवानपुर, नेपाल के रूप में भी जाना जाता है
कुलेखानी जलाशय is located in नेपाल
कुलेखानी जलाशय
नेपाल में कुलेखानी जलाशय की स्थिति
राष्ट्रनेपाल
स्थानकुलेखानी, मकवानपुर जिला, नारायणी अंचल
निर्देशांक27°35′25″N 85°9′21″E / 27.59028°N 85.15583°E / 27.59028; 85.15583निर्देशांक: 27°35′25″N 85°9′21″E / 27.59028°N 85.15583°E / 27.59028; 85.15583
उद्देश्यउर्जा निर्माण
स्थितिप्रचालन में
निर्माण आरम्भ1977
आरम्भ तिथि1982; 42 वर्ष पूर्व (1982)
निर्माण लागतUS$117.84 मिलियन
स्वामित्वनेपाल विद्युत प्राधिकरण
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग
प्रकारतटबंध
घेरावकुलेखानी जलाशय
~ऊँचाई114 मी॰ (374 फीट)
लम्बाई397 मी॰ (1,302 फीट)
शिखा at ऊंचाई1,534 मी॰ (5,033 फीट)
चौड़ाई (शिखा)10 मी॰ (33 फीट)
बांध आयतन4,400,000 मी3 (5,800,000 घन गज)
जलाशय
बनाता हैकुलेखानी जलाशय (इन्द्रा सरोवर)
कुल क्षमता85,300,000 मी3 (69,200 acre⋅ft)
सक्रिय क्षमता73,300,000 मी3 (59,400 acre⋅ft)
असक्रिय क्षमता12,000,000 मी3 (9,700 acre⋅ft)
जलग्रह क्षेत्र126 कि॰मी2 (49 वर्ग मील)
सतह क्षेत्रफ़ल2.2 कि॰मी2 (0.85 वर्ग मील)
अधिकतम लम्बाई7 कि॰मी॰ (4.3 मील)
सामान्य ऊंचाई1,530 मी॰ (5,020 फीट)

कुलेखनी जलाशय नेपाल के नारायणी अंचल के मकवानपुर जिले में कुलेखानी के पास कुलेखनी नदी पर एक चट्टान से भरा बांध है। बांध का प्राथमिक उद्देश्य बिजली उत्पादन है। इसका निर्माण 1977 में शुरू हुआ और इसको 1982 में चालू किया गया था। 4 साल बाद इसके दूसरे भाग को 1986 में चालू किया गया था और एक तीसरा पावर स्टेशन 14 मेगावाट का मई 2015 में चालू होने की उम्मीद थी, लेकिन निर्माणकर्ताओं के साथ मुद्दों के कारण इसमें देरी हुई। 117.84 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इस परियोजना को विश्व बैंक, कुवैत फंड और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम आदि संस्थानों से धन प्राप्त हुआ। वर्तमान में यह नेपाल विद्युत प्राधिकरण के स्वामित्व में है। यह 114 मीटर (374 फीट) लंबा बांध इंद्र सरोबार नामक एक जलाशय बनाता है जिसमें 69,200 एकड़ फीट तक पानी जमा होता है।[1][2]

कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन (1)

कुलेखानी जलाशय से 5.8 कि॰मी॰ की सुरंग से जल को पहले कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन में भेजा जाता है। यह बिजली स्टेशन में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करता है। आगे यही से जल भूमिगत बिजली स्टेशन तक पहुंचता है। इसमें दो 30 मेगावाट पेल्टन टर्बाइन-जनरेटर की मदद ली जाती है।

कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन (2)

पहले पावर स्टेशन से छोड़ा गया पानी सुरंगों की एक श्रृंखला में प्रवेश करता है, जहाँ से यह हाइड्रोपावर स्टेशन तक पहुँचता है, जो कि भूमिगत है और जिसमें दो 16 मेगावाट के फ़्रांसिस टर्बाइन-जनरेटर स्थापित हैं। बांध और जलाशय बागमती नदी बेसिन में हैं जबकि बिजली स्टेशन राप्ती नदी बेसिन में हैं।[1]

कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन (3)

तीसरे हाइड्रोपावर स्टेशन का निर्माण 2008 में आरम्भ हुआ था जो कि अब 2019 नें पूरा हो गया है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण ने तीसरे कुलेखानी जलविद्युत परियोजना की समाप्ति की समय सीमा पांचवीं बार जनवरी 2018 में बढ़ायी थी क्योंकि धीमी गति से चलने वाले ठेकेदार के कारण निर्माण देर से चल रहा था।[3][4]इसकी स्थापित क्षमता 14 मेगावाट की है।[5]

चित्र दीर्घा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Dhakal, Manjeet (2011). "Climate Change Impacts on Reservoir based Hydropower Generation in Nepal: A case study of Kulekhani Hydropower Plant" (PDF). School of Environmental Management and Sustainable Development Pokhara University. पपृ॰ 15–17. मूल (PDF) से 2 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 March 2015.
  2. "Nepal u Appraisal of the Kulekhani Hydroelectric Project" (PDF). World Bank. 25 November 1975. अभिगमन तिथि 1 March 2015.
  3. "Kulekhani III begins power generation". Khabarhub (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-08-31.
  4. "Kulekhani 3 deadline extended for fifth time". 11 October 2017.
  5. "Kulekhani III Hydroelectric Project : Construction Supervision and Construction Management (14 MW)". Total Management Services Pvt. Ltd. मूल से 2 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 March 2015.