कीचक
कीचक राजा विराट का साला था तथा उनका सेनापति था। जब पाण्डव अपनी ए
क वर्ष की आज्ञात्वास की अवधि राजा विराट के यहाँ व्यतीत कर रहे थे तब वहाँ द्रौपदी "सैरन्ध्री" नामक एक दासी के रूप में राजा विराट की पत्नी की सेवा में कार्यरत थी। उस समय कीचक सैरन्ध्री (द्रौपदी) पर मोहित हो गया। एक दिन उसने बल़पूर्वक सैरन्ध्री के साथ समागम की कोशिश की जिसके परिणामस्वरूप भीमसेन ने कीचक का वध कर दिया। कीचक को केवल सात: योद्धा ही मार सकते थे।