कालीघाट शक्तिपीठ
कालीघाट शक्तिपीठ | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | आदि गंगा नदी के तट पर, कोलकाता |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | मध्यकालीन बांग्ला स्थापत्य शैली |
कालीघाट शक्तिपीठ या कालीघाट काली मन्दिर (बांग्ला: কালীঘাট মন্দির) कोलकाता स्थित काली देवी का मन्दिर है। यह भारत की ५१ शक्तिपीठों में से एक है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी (सन्यासपूर्व नाम 'जिया गंगोपाध्याय') ने की थी।
यह मंदिर काली भक्तों के लिए सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर में देवी काली के प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुंडो की माला है, हाथ में कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में भी कुछ नरमुंड बंधे हुए हैं। उनकी जिह्वा (जीभ) निकली हुई है और जीभ में से कुछ रक्त की बूंदे भी टपक रही हैं। प्रतिमा में जिह्वा स्वर्ण से बनी है।
कुछ अनुश्रुतियों के अनुसार देवी किसी बात पर क्रोधित हो गयी थीं। उसके बाद उन्होंने नरसंहार करना शुरू कर दिया। उनके मार्ग में जो भी आता वो मारा जाता। उनके क्रोध को शान्त करने के लिए भगवान शिव उनके मार्ग में लेट गए। देवी ने क्रोध में उनकी छाती पर भी पैर रख दिया उसी समय उन्होंने भगवान शिव को पहचान लिया और उन्होंने फिर नरसंहार बंद कर दिया।
पौराणिक कथाओं के अनुसार सती के शरीर के अंग प्रत्यंग जहाँ भी गिरे वहाँ शक्तिपीठ बन गये। ब्रह्म रंध्र गिरने से हिंगलाज, शीश गिरने से शाकम्भरी देवी, विंध्यवासिनी, पूर्णगिरि, ज्वालामुखी, महाकाली आदि शक्तिपीठ बन गये। माँ सती के दायें पैर की कुछ अंगुलिया इसी जगह गिरी थीं।
यहां कोलकाता मेट्रो का स्टेशन भी है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- कालीघाट की काली (निओन्यूज)
- शक्तिपीठ कालीघाट (जागरण)
- कालीघाट शक्तिपीठ कोलकाता
- कालीघाट – देवी का प्रचंड रुप (दानापानी)