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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ प्रान्त के बस्तर जिला में स्थित है।

प्रकृति ने कांगेर घाटी को एसा उपहार सौंपा है, जहाँ वन देवी अपने पूरे शृंगार में मंत्रमुग्ध कर देने वाली दृश्यावलियों को समेटे, भूमिगार्भित गुफाओ को सीने से लगाकर यूं खडी होती है मानो आपके आगमन का इंतजार कर रही हो। कांगेर घाटी का दर्शन एक संतोषप्रद अवर्णनीय एवं बेजोड प्राकृतिक अनुभव का उदाहरण है।

स्थिति एवं दूरी

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ के जगदलपुर जिला से मात्र २७ किमी की दूरी पर स्थित है। रायपुर जिला से लगभग ३३० किमी की दूरी पर है। यह उत्तर पश्चिम किनारे पर तीरथगढ जलप्रपात से प्रारंभ होकर पूर्व में उड़ीसा की सीमा कोलाब नदी तक फैला है। कांगेर नदी इसके बीचो-बीच इठलाती हुई चलती है। इसकी औसत चौड़ाई ६ किमी एवं लम्बाई ४८ किमी है। इसका क्षेत्रफल २०० वर्ग किमी है। इसकी सीमा ४८ गाँवों से घिरी है।

जीवमंडल रिजर्व

बस्तर में प्रकृति के इस उपहार को संरक्षण के लिए आरक्षित अनोखे वन को जुलाई १९८२ में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इसके अनछुये एवं कुंवारे वनों के सौंदर्य को देखकर इसे जीवमंडल (बायोस्फियर) रिजर्व भी घोषित किया गया है। आरक्षित वन घोषित करने का उद्देश्य जंगल एवं इसके प्राकृतिक मृतप्राय घटको को पुनर्जीवित कर हर हालत में इसे सुरक्षा प्रदान कर, वन्य प्राणियों के लिए उपयुक्त शरण स्थल प्रदान करना था एवं प्रकृति प्रेमियों एवं पर्यटको के लिए एक आकर्षक का केन्द्र बनाना था। वर्तमान में यह जीवमंडल (बायोस्फियर) रिजर्व नहीं है।

वन प्रजाति

इस राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार की वन प्रजातियां मिलती है। जिससे यहां के वनों की विविधिता बढती है। इनमें दक्षिणी पेनिनसुलर मिक्स्ड डेसिहुअस बन, आर्ड सागौन, वन-इनमे साल, बीजा, साजा, हल्दु, चार, तेंदु कोसम, बेंत, बांस एवं कई प्रकार के वनौषधि पौधे मिलते है।

पक्षियों का कलरव

पक्षियों का चहचहाना सुनना है तो कांगेर घाटी में आपका स्वागत है। यहां वन्य प्राणियों के साथ साथ कई रंग-बिरंगी चिडियाअं उडते हुये दिख जाती है।छत्तीसगढ का राज्य पक्षी पहाडी मैना इन्ही जंगलो में निवास करती है। इनमे पहाडी मैना के साथ भृगराज, उल्लू, वनमुर्गी, जंगल मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंट इगल, श्यामा रैकेट टेल, ड्रांगो आदि सामान्यत: पाये जाते है।

आवास व्यव्स्था

आवास के लिए उद्यान में कई वन विश्राम गृह है जिनमे कोटमसर, नेतानार, तीरथ्गढ, दरभा और जगदलपुर में है। जिनका आरक्षण संचालक, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जगदलपुर से कराया जाता है।

स्थानीय ज़िला प्रशासन और वन विभाग के सहयोग से इस क्षेत्र के युवाओं के रोज़गार उन्नयन हेतु होमस्टे का निर्माण कराया गया है, जिसमें बस्तर ट्राइबल होमस्टे (+918319846855) , धुरवा डेरा, आम्चो लाड़ी पर्यटकों के मध्य प्रसिद्ध हैं। इनमें रुक कर पर्यटक स्थानीय निवासियों की जीवनशैली, कृषि, त्योहार एवं कला को अनुभूत कर सकते हैं।

आवागमन

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान पहुचने में वायु मार्ग के लिए निकटतम हवाई अड्डा रायपुर है जो देश के प्रमुख नगरो से जुडा है। रेलमार्ग में विशाखापटनम-किरंदुल रेलमार्ग पर निकटतम रेल्वे स्टेशन जगदलपुर है। दिल्ली-मुंबई हावडा रेलमार्ग पर निकटतम रेल्वे स्टेशन रायपुर है। सडक मार्ग में रायपुर-जगदलपुर ३०३ किमी है। विशाखापटनम-जगदलपुर ३१३ किमी है। हैदराबाद-जगदलपुर ५६५ किमी है।

मौसम एवं तापमान

वर्ष भर यहां का मौसम भ्रमण के लिए अनुकुल है। शीत ऋतु में अधिकतम तापमान ३० सेन्टीग्रेड व न्युनतम १३ सेन्टीग्रेड रहता है। ग्रीष्म में अधिकतम ४२सेन्टीग्रेड व न्युनतम २० सेन्टीग्रेड रहता है। यहां औसत वर्षा १५२ सेमी होती है।

महत्वपूर्ण जानकारी

उद्यान १ नवम्बर से ३० जून तक खुला रहता है। वर्षाकाल में जुलाई से अक्टूबर तक उद्यान बंद रहता है। पक्षियों को निहारने के लिए बायनाकुलर ले जाना न भुले व कैमरा भी ले जाना न भुले। वन्य प्राणी प्रात: व शाम को विचरण के लिए निकलते है। दुर्लभ प्राणी कई बार कई कई दिनो में दिखते है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में वो सभी चीजे है जो किसी राष्ट्रीय उद्यान की विशेषता होती है। यहां वनाच्छादित धरा के साथ वन्य प्राणियोंके अतिरिक्त कल-कल करते प्रपात व इठलाती कांगेर नदी भी है। यहां की निरवता एक अलग वातावरण बनाती है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्वर्ग है। यहां पर रोमांचक खेलों जैसे ट्रेकिन्ग, मेचर ट्रेल पर विचरण, रैपलिंग आदि की असीम संभावना है।

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