कलीम आजिज़
कलीम आजिज़ | |
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जन्म | 1920 |
मौत | 14 फ़रवरी 2015 ![]() हजारीबाग ![]() |
नागरिकता | भारत, ब्रिटिश राज, भारतीय अधिराज्य ![]() |
शिक्षा | पटना विश्वविद्यालय ![]() |
पेशा | कवि ![]() |
धर्म | इस्लाम ![]() |
कलीम आजिज़ (जन्म : १९२६) उर्दू के शायर और शिक्षाविद थे। कलीम साहब का जन्म बिहार के पटना जिले में हुआ था। पटना कॉलेज से उन्होंने स्नातक तथा पटना विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। पटना विश्वविद्यालय से ही उन्होंने बिहार में उर्दू साहित्य का विकास विषय पर पीएच डी की उपाधि अर्जित की। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष १९७६ के दौरान विज्ञान भवन में भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनकी प्रथम पुस्तक का लोकार्पण किया गया। कलीम आजिज़ ६० और ७० के दशक में स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर होने वाले लाल किले के मुशायरे में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र शायर थे।[1] उनकी प्रसिद्धि तुम कत़्ल करो हो कि करामात करो हो जैसी गज़लों के कारण रही है। रविवार १५ फरवरी २०१५ को बिहार के हजारीबाग में उनका निधन हो गया।[2]
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 फ़रवरी 2015.
- ↑ "'तुम कत्ल करो हो के करामात करो हो' वाले शायर कलीम आजिज़ नहीं रहे". न्यूज़१८. १६ फ़रवरी २०१५. मूल से 17 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १७ फ़रवरी २०१५.