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कलिंग साहित्य उत्सव

कलिंग साहित्य उत्सव
शैलीसाहित्य
स्थानभुवनेश्वर, उडीसा, India
सक्रीय वर्ष 2013–present
जालस्थलhttp://Kalingaliteraryfest.com

कलिंग साहित्य उत्सव (अंग्रेजी : फक उडीसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में हर साल आयोजित होने वाला साहित्य महोत्सव है।[1] यह ओडिया के छठी शास्त्रीय भाषा बनने और भुवनेश्वर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एक अग्रणी शहर बनने के उपलक्ष्य के तौर पर ओडिया साहित्य, इतिहास, और इसके राष्ट्रीय और वैश्विक अंतर्संबंधों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मानसून के दौरान १९ जुलाई से कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।[2]

इतिहास

कलिंग प्राचीन काल का भारत और विश्व के इतिहास में एक गौरवशाली चरण रहा है। कलिंग कला, शिल्प, संस्कृति और साहित्य में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसने भारतीय उपमहाद्वीप के किनारों से परे संस्कृति और कृषि दोनों को लेने वाले समुद्री व्यापार में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

कई चुनौतियों के बावजूद, आर्थिक विकास और युवा और आने वाली पीढ़ियों के लिए अवसरों के मामले में, आधुनिक ओडिशा भारत में एक अग्रणी राज्य बनने की राह पर है। यह पुराने को नए से जोड़ने और अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच सेतु बनाने का एक उपयुक्त समय है। साहित्य, दूसरों के बीच, गौरवशाली इतिहास को जोड़ने के लिए सबसे शक्तिशाली बल बना ओडिया भाषा और साहित्य को वैश्विक रूप से स्वीकार किया गया है कि 2000 से अधिक वर्षों से चली आ रही परंपरा है। इसी को ध्यान में रखते हुए 2014 में कलिंग साहित्य उत्सव (केएलएफ) का आयोजन करने की योजना बनाई गई। इसका आयोजन ओडिशा मीडिया इंफॉर्मेशन सर्विस (ओएमआईएस) प्राइवेट लिमिटेड और ओडिशा डायरी फाउंडेशन (ओडीएफ) और रायथम फेसिवल प्राइवेट लिमिटेड की ओर से किया जाता है। यह ओडिशा और भारत के भीतर और बाहर साहित्य की दुनिया की बेहतरीन प्रतिभाओं के बीच के संवाद को मंच प्रदान करता है।[3]

प्रथम कलिंग साहित्य उत्सव

पहला कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल २०१४ में हुआ। इसमें मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि थे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित सीताकांत महापात्रा जबकि विशिष्ठ अतिथि थी प्रतिभा राय। इसका मुख्य विषय था – भाषा और साहित्य का उत्सव।

दूसरा कलिंग साहित्य महोत्सव 2015

इसका आयोजन भुवनेश्वर में 17 मई 2015 से शुरू हुआ और इसका मुख्य विषय था ʺप्रतिबिंब के रूप में साहित्य‘। इसमें प्रमुख वक्ता थे बीबीसी के पूर्व संवाददाता मार्क टली। पहले दिन के मुख्य सत्र के दौरान राष्ट्र निर्माण में साहित्य की भूमिका पर चर्चा हुई। इसमें रोमांटिकतावाद और समकालीन साहित्य, समकालीन साहित्य में नारीवाद, समानांतर सिनेमा और समकालीन साहित्य, दलित और आदिवासी साहित्य, मीडिया, माध्यम, संदेश और साहित्य, भासा साहित्य बनाम अंग्रेजी साहित्य और कई अन्य अंतर-संबंधित मुद्दों सहित कई विषयों पर विचार विमर्श हुए।

तीसरा कलिंग साहित्स उत्सव 2016

इसमें मुख्य विषय था – साहित्य और लोकतंत्र तथा मुख्य वक्ता थे श्री सब्रमण्यम स्वामी और श्री मणि शंकर अैय्यर। इस महोत्सव के मुख्य सत्रों में साहित्य में संवाद विकास और लोकतांत्रिक भावनाओं के बारे में चर्चा हुए। इसके अलावा कलिंगा’ उडिया भाषा में प्रशासन’ युवा’ महिला’ मीडिया’ खेल’ लोक एवं क्षेत्रीय सहित्य के बारे में भी विचार विमर्श हुआ।

चौथा कलिंग साहित्य उत्सव 2017

यह 10 जून से 12 जून के बीच आयोजित हुआ। इसका मुख्य विषय शांति और सदभाव के लिए साहित्य तथा मुख्य वक्ता थे, प्रसिद्ध हिन्दी कवि डॉ केदारनाथ सिंह[4]

सन्दर्भ

  1. "About Us « Kalinga Literary Festival" (अंग्रेज़ी में). मूल से 8 अगस्त 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-10-01.
  2. "Kalinga Literary Festival 2019 to begin from 19 July to continue till July 21". KalingaTV (अंग्रेज़ी में). 2019-07-17. अभिगमन तिथि 2020-10-01.
  3. "Odia gets classical language status". The Hindu (अंग्रेज़ी में). Special Correspondent. 2014-02-20. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2020-10-01.सीएस1 रखरखाव: अन्य (link)
  4. "Odisha: Kalinga Literary Festival" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-10-10.