ओस्टवाल्ड तनुता नियम
विल्हेल्म ओस्टवाल्ड की तनुता का नियम (Ostwald’s dilution law) किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य (जैसे अम्ल, क्षार आदि) के आयनिक स्थिरांक (dissociation constant) तथा आयनन की मात्रा (degree of dissociation) के बीच एक सम्बन्ध बताने वाला नियम है।
जहाँ:
- Kp: वियोजन स्थिरांक (constant of protolysis)
- α: आयनन की मात्रा (or degree of protolysis)
- c(A-): धनायनों की सांद्रता
- c(K+): ऋणायनों की सांद्रता
- c0: कुल सांद्रता (overall concentration)
- c(KA): संबंधित इलेक्ट्रोलाइट की एकाग्रता (concentration of associated electrolyte)
ओस्टवाड का नियम-
इस नियम के अनुसार,"अनन्त तनुता पर किसी विद्युत अपघट्य विलयन की तुल्याकी चालकता का मान विलयन मे उपस्थित ऋणायनो तथा धनायनो की तुल्याकी चालकताओ के बराबर होता है। दुर्बल वैद्युत अपघट्यों के लिए द्रव्य-अनुपाती क्रिया का नियम ओस्टवाल्ड का तनुता नियम कहलाता है। माना एक द्विअंगी (binary) दुर्बल वैद्युत अपघट्य AB का 1 ग्राम-अणु लीटर विलयन में उपस्थित है तथा साम्यावस्था पर वियोजन की मात्रा α है, तो AB के अनआयनित अणुओं एवं इसके आयनों A+ तथा B– में निम्न प्रकारं साम्यावस्था प्रकट की जा सकती है।