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ओलंपिक प्रतीक

बिना रिम के ओलंपिक रिंग

ओलंपिक प्रतीक का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ओलंपिक खेलों के लिए करती है। इनका उपयोग चिह्न, ध्वज और प्रतीक आदि के रूप में किया जाता है। इन प्रतीकों में वे चिह्न शामिल हैं जो आमतौर पर ओलंपिक प्रतियोगिता के दौरान उपयोग किए जाते हैं। जैसे-लौ, धूमधाम और थीम आदि के अतिरिक्त ही वे भी प्रतीक चिह्न जो वर्षों से उपयोग किए जाते हैं, जैसे ओलंपिक ध्वज।

ओलंपिक ध्वज

ओलंपिक ध्वज 1913 में फ़्रांस के बैरन डी कुबर्टिन के मार्गदर्शन में बनाया गया था। इसे पहली बार 1914 के अखिल-मिस्र खेलों में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में फहराया गया था।[1] झंडे पर पाँच छल्ले दुनिया के बसे हुए महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उस समय अमेरिका को एक महाद्वीप माना जाता था और यूरोप को एशिया से अलग माना जाता था। इस प्रतीक में उन सभी रंगों जैसे-नीला, काला, लाल, पीला और हरा आदि को शामिल किया गया था जो दुनिया भर के लगभग सभी झंडों में सामान्यतः उपलब्ध हैं।[2]

ध्येय वाक्य

ओलंपिक का पारंपरिक ध्येय वाक्य है हेंडियाट्रिस सिटियस, अल्टियस, फोर्टियस जो लातिन से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है "तेज़, उच्चतर, मज़बूत"।[3] इसे अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के निर्माण पर पियरे डी कूपर्टिन द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

20 जुलाई 2021 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने आदर्श वाक्य में एन डैश के बाद "टुगेदर" शब्द जोड़ने की मंज़ूरी दी।[4]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "टीम एजिप्ट". मूल से 21 जुलाई 2021 को पुरालेखित.
  2. "टीम एजिप्ट". 7 सितंबर 2021.
  3. "ओलंपिक का आदर्श वाक्य क्या है?". इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी. 2013. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2023.
  4. आईओसी. "ओलंपिक का आदर्श वाक्य क्या है?". ओलंपिक. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2023.

बाहरी कड़ियाँ