ऑक्सीजन संतृप्ति

रक्त में ऑक्सीजन से संतृप्त हीमोग्लोबिन तथा कुल हीमोग्लोबिन (असंतृप्त + संतृप्त) के अनुपात को ऑक्सीजन संतृप्ति (Oxygen saturation) कहते हैं। मानव के रक्त में ऑक्सीजन की संतुलित मात्रा होना जरूरी है और इसलिए शरीर रक्त में आक्सीजन की उचित मात्रा बनाए रखने की कोशिश करता है। मनुष्य की धमनी के रक्त का ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर सामान्यतः 95 से 100 प्रतिशत रहता है। यदि यह मात्रा 90 प्रतिशत से कम हो, तो इसे निम्न माना जाता है और इसे हाइपोक्सिमिया (hypoxemia) कहा जाता है। [1] किन्तु यदि यह मात्रा 80 प्रतिशत से भी नीचे हो तो मस्तिष्क और हृदय जैसे अंगों को काम करने में परेशानी हो सकती है। इसलिए ऐसी स्थिति में आक्सीजन संतृप्ति को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। लगातार कम ऑक्सीजन स्तर बना रह गया तो हृदय गति रुक सकती है। ऑक्सीजन संतृप्ति को सही स्तर पर लाने के लिए ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
जब आक्सीजन फेफड़ों में पहुँचता है और रक्त के हीमोग्लोबीन के सम्पर्क में आता है तो ऑक्सीकरण के अणु हीमोग्लोबीन से संयुक्त हो जाते हैं। यही रक्त शरीर की कोशिकाओं में पहुँचता है, और उसके साथ संयुक्त आक्सीजन भी कोशिकाओं में पहुँच जाती है और वहाँ पहुंचकर ऊर्जा उत्पादन में सहायक होती है। यदि रक्त में आक्सीजन की कमी रहेगी तो यह क्रिया सम्यक रूप से नहीं होती जो दूसरी समस्याओं को जन्म देती है।
परिभाषा


सन्दर्भ
- ↑ "Hypoxemia (low blood oxygen)". Mayo Clinic. mayoclinic.com. अभिगमन तिथि 6 June 2013.