उड़ान (1997 फ़िल्म)
उड़ान | |
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उड़ान का पोस्टर | |
निर्देशक | असरानी[1] |
लेखक | शरद जोशी दिलीप शुक्ला |
निर्माता | गुड्डू धनोआ ललित कपूर राजू नरूला |
अभिनेता | रेखा, सैफ़ अली ख़ान, मधू, प्रेम चोपड़ा |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद |
प्रदर्शन तिथियाँ | 3 अक्तूबर, 1997 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
उड़ान 1997 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन असरानी ने किया और इसमें रेखा, सैफ़ अली ख़ान, मधू, प्रेम चोपड़ा, दलीप ताहिल और डैनी डेन्जोंगपा हैं।
संक्षेप
श्री सहाय (सईद जाफ़री) एक धनी उद्योगपति हैं जिन्हें हृदय की बिमारी है। उनके तीन अन्य व्यावसायिक सहयोगी हैं, श्री सूद (प्रेम चोपड़ा), श्री राणा (डैनी डेन्जोंगपा) और श्री सेठी (दलीप ताहिल)। तीनों ने अधिक मुनाफा कमाने के लिये बच्चों के टॉनिक में ड्रग्स मिलाने की पेशकश की, जिससे वे बहुत कम उम्र से नशेड़ी बन जाए। सहाय इस प्रस्ताव पर अचंभित होते हैं और उन्होंने घोषणा की, उनका इससे कोई लेना-देना नहीं रहेगा।
उस रात सहाय लापता हो जाता है, और कुछ दिनों में उसका शव मिल जाता है, और पोस्टमार्टम से पता चलता है कि वह दिल के फेल होने से मर गया। उसकी बेटी वर्षा (रेखा) अपने पिता के व्यापार को अपने हाथ लेती है, और उसे पता चलता है कि तीनों कारोबारी सहयोगी आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं, जिसमें धन का गबन भी शामिल है। वह उनका सामना करती है, और उन्हें दो दिनों के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहती है। उस समय सीमा से पहले, वर्षा को चिकित्सीय रूप से पागल घोषित किया जाता है और अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है। तीनों व्यावसायिक सहयोगियों अब बिना किसी बाधा के अपने काम पर लग जाते हैं। फिर वर्षा राजा (सैफ़ अली ख़ान) नामक एक व्यक्ति की मदद से वहाँ से भाग जाती है। अब, वर्षा और राजा मिलकर खलनायकों के खात्मे की एक कठिन यात्रा शुरू करते हैं।
मुख्य कलाकार
- रेखा — वर्षा सहाय
- सैफ़ अली ख़ान — राजा
- मधू — मधु
- प्रेम चोपड़ा — मिस्टर सूद
- दलीप ताहिल — मिस्टर सेठी
- मोहन जोशी — डॉक्टर भाटिया
- डैनी डेन्जोंगपा — मिस्टर राणा
- असरानी — बाबा श्री 108
- देवेन वर्मा — मधु के अंकल
- सईद जाफ़री — मिस्टर सहाय
- मोहनीश बहल — इंस्पेक्टर शर्मा
- अनु कपूर — आनंद
- राना जंग बहादुर
- मकरंद देशपांडे — मासूमभाई
संगीत
सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "अंग्रेज़ी भाषा में" | पूर्णिमा, अभिजीत | 4:32 |
2. | "जब जब देखूँ तुझे" | अलका याज्ञिक, कुमार सानु | 5:52 |
3. | "छत के ऊपर सोई थी" | श्वेता शेट्टी | 5:56 |
4. | "बादल गरजा बिजली" | कुमार सानु, अलका याज्ञिक | 5:45 |
5. | "चाहूँ तुझे रात दिन" | विनोद राठोड़, बेला सुलाखे | 6:10 |
6. | "कल रात सपने में" | अलका याज्ञिक, कुमार सानु | 5:40 |
सन्दर्भ
- ↑ "जब निर्देशक ने असरानी से कहा- न हीरो लगते हो न विलेन, कैसा रोल दें? गुलज़ार ने कही थी ये बात". जनसत्ता. 17 अक्टूबर 2021. अभिगमन तिथि 11 जुलाई 2023.