आसिया बीबी मामला
आसिया बीबी ईशनिन्दा मामला पाकिस्तान की ईसाई महिला आसिया नोरीन को ईशनिन्दा के आरोप में पाकिस्तान के एक न्यायालय द्वारा दिया गया दण्ड है। इस मामले में सन २०१० में उसे मृत्युदण्ड सुनाया गया था। किन्तु २०१८ में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने उसे दोषमुक्त कर दिया था।
मामला
आसिया बीबी का तीन मुस्लिम महिलाओं से विवाद हो गया था। वह लाहौर के शेखपुरा स्थित अपने खेतों में काम कर रही थीं। तेज घूप में काम करने के कारण उन्हें प्यास लगी और उन्होंने कुंए के पास मुस्लिम महिलाओं के लिए रखे पानी के गिलास से पानी पी लिया। मुस्लिम महिलाओं ने इस बात का काफी विरोध किया।
इसके कुछ दिनों बाद मुस्लिम महिलाओं ने विरोध दर्ज कराया कि आसिया ने ईसा मसीह और पैगंबर मोहम्मद की तुलना की है। उन्होंने आसिया पर ईशनिन्दा के तहत मामला भी दर्ज करा दिया। इसके बाद पाकिस्तान पेनल कोर्ट की धारा 295-सी के तहत आसिया को गिरफ्तार किया गया। इस कानून के तहत आरोपी को मौत की सजा सुनाई जाती है।[1]
सन २०१० में शेखपुरा के एक जज ने इस मामले में उसे मृत्युदण्ड दे दिया। लाहौर के उच्च न्यायालय ने इस दण्ड को जारी रखा। नवम्बर २०१४ में उसके वकील ने पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगायी। ३१ अक्टूबर २०१८ को वहाँ उसे दोषमुक्त कर दिया गया। इस निर्णय के विरोध में पाकिस्तान की इस्लामी पार्टियों ने भारी प्रदर्शन किए जिसमें तहरीक-ए-लबाइक नामक पार्टी प्रमुख थी। जब सज़ा रद्द करने का फ़ैसला आया था तो हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया था।
माना जाता है कि रिहाई के बाद हिंसा की आशंका के चलते उन्हें ख़ुफ़िया एजेंसियों ने अपनी सुरक्षा में रखा था। आसिया बीबी के वकील सैफ़ उल मलूक ने बीबीसी को बताया कि वो ७ मई को २०१९ कनाडा पहुंच गई हैं। माना जा रहा है कि उनकी दो बेटियां पहले ही देश छोड़ कर कनाडा पहुंच चुकी हैं, जहां उन्हें शरण दिया गया है। [2]
सन्दर्भ
- ↑ "एक गिलास पानी ने दिलाई आसिया को मौत की सजा". मूल से 1 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2020.
- ↑ आसिया बीबी ने आख़िरकार पाकिस्तान छोड़ दिया