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आवैय्यार

मरीना तट पर स्थापित आवैय्यार की मूर्ति

आवैय्यार (तमिल : ஔவையார்) नाम वाली एक से अधिक कवयित्रियाँ तमिल साहित्य में विभिन्न कालों में हुई हैं। ये कवयित्रियाँ तमिल साहित्य के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण कवियों में से हैं।

अबिधान चिन्तामणि के अनुसार 'आवैय्यार' नाम की तीन कवयित्रियाँ हुईं हैं। उनमें से प्रथम आवैय्यार संगम काल (तीसरी शताब्दी ईसापूर्व) में हुईं थीं। उन्होंने पुरनाणूरु में 59 कविताएँ लिखीं। द्वितीय अवैय्यार का जीवनकाल १०वीं शताब्दी में चोल राजवंश के काल में रहा। अतः वे कम्बर और ओत्ताकूतर के समय में रहीं। तमिल लोग उनको एक वृद्ध और बुद्धिमती महिला मानते हैं। अव्वै कुराल और अनेक अन्य कविताएँ इस काल की हैं। तृतीय आवैय्यर को प्रायः 'आतिचूदि', 'कोन्डै वेन्धन' , 'नलवाळि' और 'मूधुरै' आदि नमों से जाना जाता है।